
जरा इन दोनों फ़ोटो को देखिये। आज की हैं। भोपाल की है। आरओ अफसर कुर्सी से खड़ा हो गया है। और महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने रंग में हैं। साथ ही बुजुर्ग हो चले मामा भी हैं। नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय मंत्री और मुर्झाये हुए प्रभात झा भी साथ हैं। सभी अनुभवी और ज्ञानी हैं।

आप सभी को याद होगा वाराणसी में पीएम मोदी जब नामांकन करने गए थे तो आरओ ने अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी थी तो काफी बवाल मचा था। मगर यहां महाराज के सामने आरओ अफसर कुर्सी से उठा भी और झुक भी गया है।

ऐसे कैसे होगा सुधार….
क्या हम इसी राजनीतिक सुचिता की बात करते हैं। या जो जितना मजबूत उसके लिए कानून और नियम उतना की कमजोर और सरल है। हद है। महाराज के लिए शिवराज भले खुश हैं लेकिन नियम को तो ताख पर न रखा जाय।