
- 1982 में इंस्पेक्टर राजपाल सिंह समेत कुल 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे
- छविनाथ ने एक बार एटा के अलीगंज के सीओ को एक दिन के लिए बंधक बना लिया था
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
विकास दुबे (vikas dubey ) और पुलिस मुठभेड़ में जो हुआ इससे कई चीजें सामने आ रही है. अतीत की बातें भी लोग बता रहे हैं. वर्ष 1980 की बात है जब यूपी में बदमाशों का दौर था. पश्चिम यूपी के मैनपुरी-एटा में एक नाम से लोग डरने लगे थे. वो था छविराम सिंह यादव. इससे तीन राज्यों की पुलिस में तनाव था. मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में छविराम सिंह यादव के नाम का डंका बजता था. पुलिस से उसका खूब आमना सामना हुआ. बाद में उसके एनकाउन्टर का आदेश तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने सीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह को दिया था. और उसका एनकाउन्टर किया गया. और उस दुर्रांत अपराधी का खेल पूरी तरह से ख़त्म हुआ. उसके बाद कानपुर की यह घटना है. जिसमें 8 पुलिसवाले शहीद हुए हैं.
Vikas Dubey अपराधी से ऐसे बन गया माननीय ! और 20 साल से कर रहा अपराध !
21 सितंबर 1981 को जिला एटा के थाना अलीगंज अंतर्गत छबीराम गिरोह से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर राजपाल सिंह समेत कुल 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। थाना अलीगंज का पूरा स्टॉफ शहीद हो गया था। इसी छविनाथ के बेटे अजय पाल सिंह बाद में दारोगा बने. छविनाथ ने एक बार एटा के अलीगंज के सीओ को एक दिन के लिए बंधक बना लिया था. बाद में छोड़ दिया था. इससे उस समय की यूपी की सरकार की खूब किरकिरी हुई थी. छविनाथ को उसके गिरोह के लोग नेता जी कहते थे.
क्यों याद आई बातें
उत्तर प्रदेश में कानपुर में बिकरु गांव में गुरुवार देर रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला हो गया। ताबड़तोड़ फायरिंग में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। जबकि, एक नागरिक समेत 7 पुलिसकर्मी घायल हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी से इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब करते हुए कड़े एक्शन की हिदायत दी है।