
संतोष कुमार पाण्डेय, सम्पादक की रिपोर्ट
- आज पढ़िए और देखिये हरियाणा के मेवात जिले के मोहम्मद अली फतह की कहानी.
पोलटॉक पर ‘आत्मनिर्भर वीर’ की कहानी जिन्होंने अपने दम पर सफलता पाई है. उन्होंने जीवन स्तर को बदला है और अन्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गये. ऐसे लोगों को पोलटॉक ‘आत्मनिर्भर वीर’ मानता है. आज पढ़िए और देखिये हरियाणा के मेवात जिले के मोहम्मद अली फतह की कहानी। जिन्होंने अपने जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश में अपना नाम कमाया है.
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शुरुआत में दिक्कत थी… धीरे-धीरे राह आसान हुई
मोहम्मद अली फतह बताते है कि शुरुआत में हमें कुछ पता नहीं था लेकिन निकल पड़े थे बदलाव की राह पर इसलिए कोई डर भी नहीं था. अब फतह की उम्र 68 साल हो गई है. लेकिन उनके दिमाग और दिल में बस एक ही काम रहता है वो है बागवानी। इन्होने परम्परागत खेती को छोड़ दिया और बगवानी को अपना लिया। बात है वर्ष 2000 की जब अली फतह ने 3 एकड़ में आंवले की 140 पौधे लगा दिया। 3 साल बाद 2003 में आंवले का अच्छा उत्पादन होने लगा. लगभग 3 लाख रूपये का आंवला भी प्रति वर्ष बेचने भी लगे. बड़ी बात यह है कि इनके यहाँ आंवला लेने खरीदार खुद आते हैं और भुगतान भी वहीँ कर जाते हैं.
8 महीने में 3 लाख रुपये की इनकम
एनए-7 वैरायटी में 8 माह में तीन बार फल आ जाते हैं. लगभग 3 लाख रूपये की कमाई हो जाती है. इससे पूरे परिवार का जीवन यापन हो रहा है. आंवले की बागवानी से पूरा परिवार खुश है.

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दो बार हो चुके हैं सम्मानित
हरियाणा सरकार के कृषि विभाग ने मोहम्मद अली फतह को दो बार सम्मानित किया है. 2008 -09 में मेवात कृषि विभाग द्वारा और 2013 में घरौंदा में इन्हें सम्मानित होने का अवसर मिला।
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बागवानी का देते हैं टिप्स
मोहम्मद अली फतह हरियाणा में ही नहीं बल्कि राजस्थान तक बाग़ लगाने जाते हैं. पहले लोग मेवात में आंवले की बागवानी से बेखबर थे. मगर अब इसमें बड़ी संख्या में लोग लगे है. हरियाणा के अलावा राजस्थान के भरतपुर, अलवर में आंवले की खेती की जानकारी किसानों को देते हैं. जो उनके काम की है.
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कौन हैं मोहम्मद अली फतह
मोहम्मद अली फतह हरियाणा के मेवात जिले के है. मेवात के सुलेला गाँव के हैं. पहले किसान थे और पारम्परिक खेती किया करते थे. मगर इन्होने अपने आप को बदल दिया। जरूरते बढती गई और इनके लिए परेशानी बढने लगी थी. इसी बीच इन्होने बागवानी की तरफ रूख किया और अब ये सफल किसान में हैं. इनकी अपनी अलग पहचान है.