- इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक की किताब में मिलते हैं शिव मंदिर होने के संकेत
- ताजमहल के मुख्य गुम्बद के किरीट पर बना कलश हिन्दू मंदिरों की तरह दिखता
पोल टॉक नेटवर्क | आगरा
ताजमहल (Tajmahal) मकबरा है या शिव मंदिर, वर्षों से इतिहासकार इस बात पर अलग-अलग खेमों में नज़र आते हैं। ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने सबूत मौजूद हैं, ऐसा कहना था प्रसिद्ध इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक का, जिनकी किताब में इस बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ तथ्यों के बारे में जो लोगों कि नज़रों से छिपे हुए थे। ये सब अब सबके सामने आ रहे हैं | ये बातें जानने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट |
– ताजमहल के मुख्य गुम्बद के किरीट पर बना कलश हिन्दू मंदिरों की तरह दिखता है। शुरुआत में यह शिखर कलश स्वर्ण का था लेकिन अब यह कांसे का है। हिन्दू मंदिरों में स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।
-इस कलश पर एक चंद्रमा की आकृति बनी है। इसका नियोजन कुछ ऐसा है कि चन्द्रमा और कलश की नोक आपस में मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती हैं और त्रिशूल भगवान शिव का चिह्न है। इसका शिखर एक उलटे कमल से अलंकृत किया गया है जो गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है।
-ताजमहल के गुम्बद पर बना अष्टधातु का कलश त्रिशूल के आकार का पूर्ण कुंभ बनाता है। उसके मध्य दंड के ऊपर नारियल की आकृति निर्मित है। नारियल के तल पर दो झुके हुए आम के पत्ते बने हैं और उसके नीचे कलश भी बना है। पुराने समय से हिन्दू मंदिरों में ऐसे ही कलश बनाए जाते हैं।
-ओक की किताब के अनुसार काले पत्थर पर लिखा हुआ एक संस्कृत शिलालेख लखनऊ के वास्तु संग्रहालय में है। यह शिलालेख सन् 1155 का है। उसमें राजा परमर्दिदेव के मंत्री सलक्षण द्वारा बताया गया है कि ‘स्फटिक जैसा शुभ्र इन्दुमौलीश्वर मंदिर का निर्माण किया गया है। जिसमें निवास करने पर शिवजी की कैलाश पर वापस जाने की इच्छा ही नहीं रही। वह मंदिर आश्विन शुक्ल पंचमी की तिथि को रविवार के दिन बनकर तैयार हुआ था। या भी ताजमहल के हिन्दू निर्माण का साक्ष्य देता है।
- भारत में आपको ज्यादातर हिन्दू मंदिर किसी नदी या समुद्र तट पर निर्मित मिलेंगे। ताजमहल भी यमुना के किनारे बना है, जो कि शिव मंदिर के लिए एकदम सही स्थान है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और सोमनाथ मंदिर में एक मंजिल के ऊपर एक और मंजिल में दो शिवलिंग स्थापित हैं, ऐसा शिव मंदिरों के निर्माण में किया जाता था। ताजमहल में भी एक कब्र तहखाने में है और एक कब्र ठीक उसके ऊपर की मंजिल पर है।
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ताजमहल के दक्षिण में एक प्राचीन पशुशाला स्थित है। इतिहासकार का मानना है कि वहां पर तेजोमहालय की पालतू गायों को रखा जाता था। मुस्लिम कब्र में ऐसा होना असंगत माना जाता है।
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ताजमहल में चारों ओर एक जैसे प्रवेशद्वार बनाए गए हैं, जो कि हिन्दू भवन निर्माण का एक जाना -माना तरीका है और ऐसे भवन चतुर्मुखी भवन कहलाते हैं।
ताजमहल मकबरा है या भगवान् शिव का मंदिर, ये तभी पता चल सकता है जब ताजमहल के उन 22 बंद दरवाजों को खोला जाए और रिसर्च और साइंस का सहारा लेकर सबूतों को परखा जाए।