UP POLITICS: एक सीट के लिए अनुप्रिया पटेल को पार्टी से किया गया था बाहर, बड़ी रोचक है कहानी

एक बार विधायक और दो बार से हैं लोकसभा सदस्य, पति कैबिनेट मंत्री

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anupriya patel
  • अनुप्रिया पटेल ने राजनीति में 2012 के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा
  • एक बार विधायक और दो बार से हैं लोकसभा सदस्य, पति कैबिनेट मंत्री

पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक चेहरों की जब बात की जाती है तो उसमें एक नाम सामने जरूर आता है और वो है अनुप्रिया पटेल। अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) को राजनीति भले ही अपने पिता की विरासत के रूप में मिली हुई हो लेकिन अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़ा वर्ग का नया युवा चेहरा बन चुकी हैं। अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पुत्री होने के नाते पिछड़ों, खासकर प्रदेश की ताकतवार कुर्मी जाति में उनका खासा असर है। इस लेख के माध्यम से हम संक्षिप्त में अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) के जीवन और राजनीतिक यात्रा के बारे में जानेंगे।

कुछ ऐसा रहा है अनुप्रिया का जीवन 

अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का जन्म 28 अप्रैल 1981 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ है। अनुप्रिया पटेल बहुजन नेता सोनेलाल पटेल (sonelal patel) और कृष्णा पटेल (krishna patel) की बेटी हैं। अनुप्रिया ने दिल्ली के जाने माने कॉलेज श्री राम लेडी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने नॉएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी से एमए किया। एमए करने के बाद उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी  से एमबीए भी किया।  छात्र जीवन के दौरान वे राजनीति से दूर ही रहीं। वे बताती हैं कि ‘पिता चाहते थे कि हम चारों बहनें उच्च शिक्षा हासिल करें। उन्होंने हमारी शिक्षा को बाकी तमाम चीज़ों से ऊपर रखा।’

अनुप्रिया पटेल की शादी आशीष कुमार सिंह के साथ हुई है। पिता की मौत के चलते जब उन्होंने अचानक राजनीतिक विरासत संभाली तो अशीष ने उन्हें भरपूर सहयोग दिया। अनुप्रिया और आशीष पटेल के एक बेटा और एक बेटी है।

अनुप्रिया पटेल की कैसे हुई राजनीतिक शुरुआत 

अनुप्रिया पटेल को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली है। अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश के जाने माने कुर्मी नेता रहे सोनेलाल पटेल की बेटी हैं। सोनेलाल पटेल ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के साथ राजनीति में सक्रीय रहे हालांकि कांशीराम से मतभेद हो जाने के कारण उन्होंने 1995 में अपना दल पार्टी का गठन किया। सोनेलाल पटेल की  समाज में छवि पिछड़ों-दलितों के लिए संघर्ष करने वाले नेता की रही. सोनेलाल पटेल का 2009 में एक दुर्घटना में निधन हो गया।

पिता के निधन होने तक अनुप्रिया पटेल ने राजनीती में कदम रखने का भी सोचा नहीं था लेकिन पिता की स्मृति सभा में अनुप्रिया पटेल के भाषण ने एक बात साफ़ कर दी थी कि नेताओं वाली छवि उनके अंदर भी है। पिता के निधन के बाद अनुप्रिया पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल ने पार्टी संभाली। अनुप्रिया पटेल ने 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की रोहनियां सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले अनुप्रिया पटेल ने अपना राजनीतिक रास्ता बदला और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 2014 में अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और सांसद बनकर दिल्ली पहुँच गयीं। दिल्ली पहुँचने के बाद अनुप्रिया पटेल देखते ही देखते मोदी कैबिनेट का हिस्सा बन गयीं। अनुप्रिया पटेल सबसे उम्र की केंद्रीय राजयमंत्री मंत्री बन कर सामने उभरीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से अनुप्रिया मिर्जापुर से चुनाव जीतीं और 2021 के कैबिनेट विस्तार में दूसरी बार मंत्री बनी।

मां से बगावत कर बनाई दूसरी पार्टी

अनुप्रिया पटेल से साल 2016 में अपना दल (सोनेलाल) का गठन किया और अपनी मां कृष्णा पटेल से अलग हो गईं। अलग पार्टी बनाने के पीछे राजनीतिक पंडितों का कहना है कि 2014 में अनुप्रिया के सांसद बनने के बाद रोहनियां सीट खाली हो गयी। जिसके बाद वहां उपचुनाव हुए। अनुप्रिया पटेल चाहती थीं की उपचुनाव उनके पति आशीष पटेल लड़ें लेकिन चुनाव उनकी मां कृष्ण पटेल ने लड़ा और वह चुनाव हार गयीं। कहा जाता है इसी उपचुनाव के बाद मां बेटी के राजनीतिक रिश्ते खराब हुए और दोनों ही अपना दल के अध्यक्ष पद का दावा करने लगीं।

मां बेटी के बीच चल रही सियासी खींचतान के बीच कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया और उनके सहयोगी साथियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। जिसके बाद 2016 में अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेलाल) का गठन किया। हालांकि, मूल पार्टी अपना दल के हक़ का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। वहीं चुनाव लड़ने के लिए कृष्णा पटेल ने भी अपना दल(K) का गठन कर लिया है।2022 के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल(S) ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। 2022 के चुनाव में अनुप्रिया की पार्टी उत्तर प्रदेश की 18 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी और 12 सीटों पर जीत हासिल की।

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