- पल्ल्वी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्या को चुनाव हराकर बनाया रिकॉर्ड
- मिर्जापुर से अनुप्रिया ने लगातार दूसरी बार जीता लोकसभा का चुनाव
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय और चुनाव नतीजों के बाद अचानक से पल्लवी पटेल (Pallavi patel) का नाम सुर्ख़ियों में आ गया था। पल्लवी पटेल ने विधानसभा चुनाव में यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (keshav prasad maurya ) को सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हराया जिसके साथ ही वह चर्चा का विषय बन गयीं। दिलचस्प बात ये है पल्लवी पटेल भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली अनुप्रिया पटेल की बहन हैं और अब वह अपनी ही बहन की विरोधी पार्टी से चुनाव लड़ कर जीतीं हैं।
कौन हैं पल्लवी पटेल और अनुप्रिया पटेल ?
पल्लवी पटेल (Pallavi patel) और अनुप्रिया पटेल (anupriya patel ) दोनों सगी बहने हैं, जोकि बहुजन समाज पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता सोनेलाल पटेल की बेटियां हैं। यूपी की आबादी में करीब 11 प्रतिशत कुर्मी मतदाता हैं। प्रदेश में 16 जिलों में कुर्मी मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। इनकी राजनीतिक ताकत को भांपकर ही सोनेलाल पटेल ने जो कोशिश शुरू की थी उसका नतीजा है कि दोनों बेटियां अब पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहीं हैं लेकिन दोनों एक दूसरे के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहीं हैं।
पल्लवी पटेल ने उप मुख्यमंत्री को हराया
सोनेलाल पटेल द्वारा जो अपना दल खड़ा किया गया था मां और बेटी के राजनीतिक मदभेदों के चलते अपना दल के दो हिस्से हो गए। अपना दल का एक हिस्सा अपना दल (सोनेलाल) बन गया किसकी कमान अनुप्रिया पटेल के हाथ में है जबकि दूसरा हिस्सा अपना दल (कमेरावादी) बन गया जिसकी सर्वेसर्वा सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव में जहाँ अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो वहीँ कृष्णा पटेल और उनकी बेटी पल्लवी पटेल समजवादी पार्टी का हाथ थाम चुनाव मैदान में उतरी। हालांकि चुनाव नतीजों में कृष्णा पटेल की पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई। कृष्णा पटेल खुद चुनाव हार गयीं। वहीं दिवंगत नेता सोनेलाल पटेल की बेटी पल्लवी पटेल ने सिराथू विधानसभा सीट पर उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सामने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। पल्लवी पटेल ने ऐसे सिराथू का बेटा बनाम सिराथू की बहू का चुनाव बना दिया और पल्लवी पटेल ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हरा दिया। दरअसल, कौशांबी में पल्लवी पटेल की ससुराल है और इस जीत के बाद पल्लवी सोनेलाल पटेल की बनाई विरासत का सहारा लेकर आगे की लड़ाई जारी रख सकती है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सोनेलाल की विरासत पर जीत की दावेदारी पेश करके भविष्य में अपनी ही बहन अनुप्रिया पटेल के लिए पल्लवी मुसीबत खड़ी कर सकतीं हैं।
विधायक से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल का 2009 में दुर्घटना में निधन हो गया। जिसके बाद अनुप्रिया पटेल और कृष्णा पटेल ने मिलकर पार्टी को संभाला। अनुप्रिया पटेल ने 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की रोहनियां सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले अनुप्रिया पटेल ने अपना राजनीतिक रास्ता बदला और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। 2014 में अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और सांसद चुनी गयीं। देखते ही देखते अनुप्रिया पटेल केंद्रीय राज्यमंत्री बन गयीं। अनुप्रिया के सांसद बनाने के बाद खाली हुई रोहनियां सीट पर अनुप्रिया पटेल अपने पति आशीष को चुनाव लड़ाना चाहती थीं जबकि मां कृष्णा पटेल खुद चुनाव लड़ीं और हार गयीं। जिसके बाद मां बेटी के बीच सियासी खींचतान मच गयी।
इस खींचतान के बीच कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल समेत अनुप्रिया के कई साथियों को पार्टी से बाहर निकाल दिया। 2016 में अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेलाल) का गठन किया और तबसे बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहीं हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से अनुप्रिया मिर्जापुर से चुनाव जीतीं और 2021 के कैबिनेट विस्तार में दूसरी बार मंत्री बनी। वहीं मां और बेटी के बीच अपना दल के वारिस के लिए लड़ाई हाई कोर्ट में जारी है।