- ‘ शहरी रोज़गार गारंटी कानून बनाया जाये’-निखिल डे
कोरोना महामारी की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस व मजदूर किसान शक्ति संगठन का 30वां स्थापना दिवस वर्चुअली (ऑनलाइन) मनाया गया जिसमें राजस्थान सहित पूरे देश के संगठन व यूनियन से जुड़े साथियों ने भाग लिया. आज कोरोना महामारी के समय में देश का सबसे बड़ा तबका, मजदूर, कोरोना से तो लड़ ही रहा है, पर उसके साथ-साथ भय, भूख और रोज़गार के संकट से भी जूझ रहा है. हम सभी जानते हैं, कि कुल मजदूरों के 93% प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है. वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं. अधिकतर प्रवासी मजदूरों के पास खाने को कुछ नहीं है और जरुरत के अन्य सामान खरीदने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. इस संकट के समय में मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जितने दिन उन्होंने काम किया, उन्हीं दिनों का भुगतान नहीं किया गया है तो लॉकडाउन के दौरान का भुगतान मिलना तो उनके लिए शायद सपने जैसा ही है.
आज मई दिवस की ऑनलाइन शुरुआत करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य और सामाजिक कार्यकर्त्ता अरुणा रॉय ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर शहरों से लौटकर गाँव की ओर जा रहे हैं. इसलिए, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी रोज़गार कार्यक्रम के अंतर्गत जो भी वयस्क, जितने भी दिनों के लिए काम मांगता है, उसे उतने दिन काम दिया जाये. ये ऐसा समय है जब ग्रामीण क्षेत्र में हर वयस्क को काम की आवश्यकता है.
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आज के इस कार्यक्रम में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन की राज्य अध्यक्षा नौरतीबाई, जो 80 के दशक से असंगठित क्षेत्र के मजदूर हकों के लिए संघर्षरत हैं, ने कहा कि कोरोना महामारी ने मजदूरों के लिए एकता का एक बार फिर मौका दिया है क्योंकि इस समय में सबसे अधिक भेदभाव मजदूरों के साथ ही किया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल-डे ने संकट के इस समय में शहरी रोज़गार गारंटी कानून बनाये जाने की मांग रखी क्योंकि अभी शहरों में लोगों के पास कोई काम नहीं है. पहले भी बहुत लोगों के पास काम नहीं था लेकिन अब तो शहरी क्षेत्र में काम दिए जाने की सख्त आवश्यकता है.
संगठन के पुराने साथियों ने एक मई को आयोजित होने वाले मेले के बारे में अपने अनुभव साझा किये, वैसे भी पिछले 30 वर्षों में यह पहला मौका है जब यह मेला नहीं हुआ है. इस मेले में हजारों की तादाद में लोग आते हैं और ये लोगों के लिए एक आदत बन गई है, कि एक मई को पाटिया के चौड़े, भीम जिला राजसमन्द में मजदूरों का मेला होगा. लोग मेले में आते हैं और मंच से चल रही बातचीत तो सुनते ही हैं, बहुत सस्ते भाव पर मिलने वाला सामान भी खरीदते हैं और आनंदित होते हैं.
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इस मजदूर मेले के साथ पारदर्शिता, जवाबदेही और रोज़गार के लिए जो आन्दोलन हुए, उनके इतिहास पर भी बात हुई क्योंकि यह मजदूर मेला सूचना के अधिकार, राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी सहित कई अन्य कानूनों के लिए हुए आन्दोलनों का गवाह रहा है. इस मेले के दौरान स्थानीय लोगों ने जो मुद्दे उठाये, वे राष्ट्रीय पटल तक गए और उ मुद्दों पर आगे जाकर कानून बने.
इस मौके पर प्रसिद्द समाज विज्ञानी सतीश देशपांडे ने कोरोना काल में मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया. वहीँ मानवाधिकार कार्यकर्त्ता पीयूसीएल की राज्य अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव ने लॉकडाउन की वजह से हो रहे मजदूरों और अन्य लोगों पर मानवधिकार दमन के मामलों पर प्रकाश डाला. उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान हुए दमनों ने आपातकाल के दौरान हुए दमनों को भी पीछे छोड़ दिया है. हमारे साथ दक्षिण एशिया जानी मानी महिला अधिकार कार्यकर्ता कमला भसीन भी शामिल हुईं और उन्होंने मई दिवस मेले को याद करते हुए, अनेक वर्ग, उम्र, दृष्टिकोण के साथियों का एक संगम सामान कहा.
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मीटिंग में लोकतंत्रशाला के सचिव लाल सिंह, रेनी, नवाज, मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य शंकर सिंह, नारायण सिंह, करुणा मुथैया, मृदु शर्मा, विनीत, लक्ष्मी चौहान, मीराबाई, रूपसिंह, सौम्या किडाम्बी, नचिकेत, पारस बंजारा, दिग्विजय सिंह, सबा, प्राविता कश्यप, श्रेणिक मुथा, जननी श्रीधरन, कालूराम, रुकमनी देवी, अमित शर्मा, अविनाश, ब्रह्मचारी, अनुमेहा, राधिका गणेश, रक्षिता स्वामी, नंदिनी, शुभांगी शुक्ला, लक्ष्मण सिंह, रतन, शीलू, दीपू, एवं अन्य सभी कार्यकर्ता जुड़े तथा पेंशन परिषद् से नैंसी, भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति से कोमल श्रीवास्तव, सूचना का अधिकार मंच से कमल टांक, सूचना के जन अधिकार के राष्ट्रीय अभियान से भास्कर प्रभु, असमी शर्मा, मजदूर किसान किराना स्टोर से मोहन सिंह, गोपाल सिंह, जन आन्दोलनों के समन्वय से अखिल चौधरी, मानवाधिकार संगठन पी यू सी एल से शुभा, राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के राज्य सचिव बालूलाल, मुकेश गोस्वामी, निखिल शेनॉय, नोरतमल, कार्तिक सिंह, ईश्वर सिंह, कमलराज, सिमरन, हेमलता, माया, कनिका व अन्य कई कार्यकर्त्ता जुड़े.
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