
- जौनपुर जिले की मल्हनी विधान सभा सीट का कुछ ऐसा ही है हाल
- भाजपा यहां रहती हैं बहुत पीछे, उपचुनाव और चुनाव में सपा को मिल रही जीत
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP VIDHAN SABHA CHUNAV 2022) सूबे के बाहुबली नेताओं के लिए अच्छा नहीं गुजरा। हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी, विजय मिश्रा, अमनमणि त्रिपाठी से लेकर धनंजय सिंह (dhananjay singh) सभी को 2022 के चुनाव में हार का मुंह देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश में धनंजय सिंह लगातार तीसरा विधानसभा चुनाव हार गए। इससे पहले उपचुनाव में लकी यादव और उससे पहले लकी के पिता पारसनाथ यादव धनंजय (dhananjay singh) को हरा चुके हैं।
चुनाव नतीजों के दिन बिहार में बीजेपी के साथ सत्ता में बैठी जेडीयू की नजरें उत्तर प्रदेश में किसी सीट के नतीजों पर थी तो वह सीट थी जौनपुर जिले की मल्हानी विधानसभा सीट। मल्हानी सीट से जेडीयू के टिकट पर बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने चुनाव लड़ा था। धनंजय का मुकाबला इस सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे स्व. पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव से था। लकी यादव ने चुनाव नतीजों में लगातार दूसरी बार धनंजय सिंह को हरा दिया। लकी यादव ने उन्हें 17,527 वोटों से हराया । बाहुबली नेता धनंजय सिंह 2022 में लगातार अपना तीसरा विधानसभा चुनाव हार गए।
इससे पहले 2017 के चुनाव में धनंजय सिंह को पारसनाथ ने लगभग 20 हजार वोटों के अंतर से हराया था। वहीं 2020 में हुए उपचुनाव में भी लकी यादव से हार का सामना करना पड़ा था।
धनंजय सिंह का राजनीतिक सफर
सूबे के बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने 2002 के विधानसभा चुनाव में रारी सीट से पहली बार चुनाव लड़ा उन्होंने चुनाव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़ा था और 2002 के चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि, जीत के बाद वह बसपा के साथ आ गए थे। 2007 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने जनता दल यूनाइटेड का हाथ थामा और एक बार फिर से विधायक चुने गए। 2009 धनंजय सिंह ने बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद धनंजय सिंह का राजनीतिक ग्राफ गिरता रहा और वह एक के बाद एक कई चुनाव हारते चले गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पार्टी जेडीयू के करीब आए और JDU ने उन्हे मल्हानी सीट से अपना उम्मीदवार चुना। जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े धनंजय सिंह लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव हार गए। बता दें 2008 में परिसीमन के बाद जौनपुर जिले की मल्हानी सीट सामने आई थी इससे पहले यह रारी सीट के नाम से जानी जाती थी।