
बेनी प्रसाद वर्मा का नाम कभी बस यूपी में ही चलता था. धीरे-धीरे उनका नाम केंद्र की राजनीति में आया और अब वो इस दुनिया को छोडकर चले गये. 79 साल की उम्र में मौत हो गई है. बेनी प्रसाद वर्मा कई सालों तक यूपी में मंत्री रहे. साथ ही केन्द्रीय मंत्री रहे. कई बार विधायक और कई बार सांसद रहे. मगर अब वो दुनिया में नहीं रहे. वर्तमान समय में ये राज्य सभा सदस्य थे. आइये जानते हैं कौन थे बेनी प्रसाद वर्मा. राजनीति में क्या थी इनकी उपयोगिता!

बेनीप्रसाद वर्मा का बाराबंकी के सिरौली गौसपुर गांव में मोहनलाल वर्मा के घर जन्म हुआ था। सन् 1996 में राष्ट्रीय मोर्चा-वाम मोर्चा की एच.डी. देवगौड़ा सरकार में वह संचार राज्यमंत्री बने थे. फिर उन्हें संसदीय कार्य राज्यमंत्री का भी जिम्मा सौंपा गया. सन् 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में वह सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीतकर संसद पहुंचे थे. बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव् और अजीत सिंह में जब सीएम की कुर्सी के लिए लफडा हुआ तो उस समय बेनी प्रसाद वर्मा का नाम आया. लेकिन उन्होंने अपना नाम हटा लिया और मुलायम सिंह के लिए कुर्सी छोड़ दी थी.

सपा में इनके बेनी प्रसाद वर्मा अपने बेटे के लिए वर्ष 2007 में टिकट चाहते थे, लेकिन अमर सिंह की वजह से बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को टिकट नहीं मिल सका. इसी वजह से नाराज बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी और समाजवादी क्रांति दल बनाया. इसके बाद साल 2008 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए. वर्ष 2016 में वह एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर गोंडा सीट से जीते थे और केंद्र में मंत्री बने. बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के महासचिव थे, उत्तर प्रदेश सरकार में सपा सरकार में वह लंबे समय तक पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे. वहीँ ब
सही है, सपा ने ऐसे ही परिवारवाद मजबूत किया था..