- बिजेंद्र धनखड़ की कहानी जिन्होंने बदल दी जीने की राह और अब करोड़ पति हैं
- सालाना टर्नओवर करोड़ों रूपये, इनसे करीब 500 लोग जुड़ चुके
संतोष कुमार पाण्डेय, सम्पादक की रिपोर्ट !
पोलटॉक पर ‘आत्मनिर्भर वीर’ की कहानी जिन्होंने अपने दम पर सफलता पाई है. उन्होंने जीवन स्तर को बदला है और अन्य लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गये. ऐसे लोगों को पोलटॉक ‘आत्मनिर्भर वीर’ मानता है. आज पढ़िए हरियाणा के सोनीपत के बिजेंद्र धनखड़ की कहानी जिन्होंने बदल दी जीने की राह और अब करोड़ पति हैं. उनका खुद का धनखड़ मशरूम फार्म चलता है. शुरुआत मात्र 15 हजार रूपये से शुरू की थी लेकिन अब सालाना टर्नओवर करोड़ों रूपये हो गया है. अब इनसे करीब 500 लोग जुड़ चुके हैं.
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20 साल की उम्र में शुरू किया था काम
हरियाणा के सोनीपत जिले के खुबडू गांव निवासी बिजेंद्र धनखड़ अपनी 20 साल की उम्र में मशरूम उत्पादन का काम शुरु किया था. मात्र 15 हजार रूपये से अपने व्यवसाय की शुरूआत करने वाले बिजेंद्र धनखड़ को शुरू में ही सफलता मिलने लगी थी. हालांकि, धनखड़ बताते हैं कि यह इतना आसान नहीं था. लेकिन इसी व्यापार में लगना था और आगे बढाना था इसलिए काम होता गया. धीरे-धीरे स्थिति बदलती गई. हजारों रूपये का काम धीरे-धीरे लाखों में बदल गया. अब बिजेंद्र धनखड़ की उम्र 49 साल हो गई है. और इनका कहना है कि सालाना कमाई 40-50 लाख टर्नओवर हो गया है.
धनखड़ से धनखड़ मशरूम फ़ार्म तक
वर्ष 1990 में एक शेड में सोनीपत के किसान बिजेंद्र धनखड़ ने अपने कारोबार की शुरुआत की थी. गन्नौर ब्लाक के खुबडू गाँव के धनखड़ सफल किसान बन चुके हैं. वर्ष 2014-15 में इन्होने २.5 करोड़ रूपये का मशरूम बेचा था. 25 साल से इसी काम को कर रहे हैं. आज इनके पास कुल 150-200 शेड मशरूम के हैं. इनसे प्रेरणा लेकर खुबडू गांव के 500 लोग काम कर रहे हैं. बटन मशरूम उत्पादक के नाम पर बिजेंद्र धनखड़ की पहचान है. इनको वर्ष 2000 में हिमाचल प्रदेश के सोलन में उत्पादन में नेशनल वार्ड से सम्मानित किया गया था.
ऐसे बदला माहौल
हरियाणा सरकार ने बिजेंद्र धनखड़ को कई बार सम्मानित किया है. वर्ष 2012 में करनाल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सम्मानित किया. हरियाणा कृषि विवि हिसार में भी सम्मान मिला था. जनवरी 2015 में घरौंडा में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने सम्मानित किया था.
पंजाब और जम्मू में है बहुत मांग
बिजेंद्र धनखड़ बताते है कि इनके मशरूम की मांग जम्मू और पंजाब में बहुत मांग है. पंजाब में पटियाला, लुधियाना, जालंधर और जम्मू में इनके मशरूम की बड़ी मात्रा में बिक्री हो जाती है. इनके खूबडू गाँव में पहले एक दो लोग काम करते थे अब बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे हैं. जिसका जरिया बिजेंद्र धनखड़ ही बने.
350 टन पहुंचा उत्पादन
वर्ष 1990 जब इन्होने काम शुरू किया था तो उस समय मशरूम का उत्पादन डेढ़ टन था. वहीँ अब 2014-15 में 350 टन मशरूम का उत्पादन पहुँच गया. अब धनखड़ बताते हैं इनका लक्ष्य 500 टन उत्पादन का है.