वर्तमान में किसी नेता के नाम में यदि गाँधी जुड़ा हुआ होता है तो दिमाग उकरने वाली पहली छवि नेहरू-गाँधी परिवार से जुडी हुई होती है। भारतीय राजनीति में एक ऐसा नेता भी हैं जिनके नाम में गांधी लगा हुआ है और उनका ताल्लुक भी नेहरू-गाँधी परिवार से है। लेकिन वो राजनेता कांग्रेस में नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी का नेता है। अब आप समझ गए होंगे कि इस लेख में हम वरुण गांधी के बारे में बात करने वाले हैं। वरुण गांधी वर्तमान ने भारतीय जनता पार्टी से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद हैं।
वरुण गाँधी का शुरूआती जीवन
वरुण गाँधी का जन्म 13 मार्च 1980 को राजधानी नई दिल्ली में हुआ था। वरुण गाँधी के पिता का नाम संजय गांधी था जोकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे थे। वहीं वरुण गॉंधी की मां का नाम मेनका गांधी है जोकि नेहरू गाँधी परिवार की बहु हैं और भारतीय राजनेता भी हैं। वरुण गाँधी जब मात्र 3 महीने के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी। वहीं वरुण की उम्र जब 4 वर्ष की हुई तभी इनकी दादी इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी गयी।
वरुण गाँधी की शिक्षा
वरुण गांधी की शुरुआती शिक्षा ऋषि वैली स्कूल से हुई उसके बाद उन्होंने फिर मॉडर्न स्कूल सी.पी. न्यू दिल्ली में पढाई की। वरुण गाँधी ने इसके बाद आगे की शिक्षा ब्रिटिश स्कूल नई दिल्ली से पूरी की। वरुण गांधी नेहरू-गाँधी जैसे सम्पन्न परिवार से आते हैं तो उनकी पढाई भी उसी तरह हुई है। वरुण गाँधी आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। वरुण ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स & पॉलिटिकल साइंस लंदन से ऑनर्स में BSC की डिग्री हासिल की।
वरुण गाँधी की प्रेम कहानी
वरुण गाँधी ने यामिनी राय से साल 2011 में विवाह किया था लेकिन इन दोनों लोगों की प्रेम कहानी कुछ फिल्मी है। वरुण गांधी की पत्नी यामिनी रॉय चौधरी पेशे से ग्राफिक डिजाइनर हैं। दोनों की पहली मुलाकात 2004 में अमेरिका में हुई थी। वरुण उस वक्त अमेरिका में छुट्टियां मना रहे थे, जबकि यामिनी वरुण के दोस्त का रेस्टोरेंट डिजाइन करने के लिए वहां आई हुई थीं। इस दौरान दोनों की दोस्ती हुई। दिल्ली आने के बाद भी वरुण और यामिनी एक दूसरे से मिलते रहे। इस दौरान वरुण को बंगाली कल्चर पसंद आने लगा और तब तक यामिनी भी उन्हें पसंद करने लगीं थीं। सात साल बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। वरुण गाँधी के दो बेटियां हुईं किन्तु पहली बेटी का निधन जन्म के 4 महीने बाद ही हो गया था। वरुण गाँधी के वर्तमान ने अनुसया गांधी नाम की एक बेटी है।
वरुण गाँधी का राजनीतिक सफर
वरुण गाँधी मात्र 19 वर्ष की आयु से अपनी मान मेनका गाँधी के साथ चुनावी सबहाऊँ में देखे जाने लगे थे। वरुण गाँधी ने 20 वर्ष की उम्र में अपनी पहली किताब ‘द अदरनेस ऑफ़ सेल्फ’ नाम की पुस्तक लिखी जिसका लोकार्पण देश के कई वरिष्ठ नेताओं ने किया था। कहा जाता है कि वरुण गाँधी अपने साथ नेहरू-गाँधी परिवार की राजनीतिक विरासत का ठप्पा लेकर नहीं आगे बढ़ना चाहते थे वह समाज में अपनी पहचान बनाना चाहते थे।
वरुण गाँधी ने 2004 में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया। जिसमें 40 से अधिक निर्वाचन क्षेत्र शामिल थे। वरुण गाँधी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में अपनी मां की संसदीय सीट पीलीभीत से चुनाव लड़ा और अपने विरोधी को 281501 मतों के अंतर से हराया। भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गाँधी को 2013 भाजपा का सबसे कम उम्र के महासचिव नियुक्त किया। वरुण गाँधी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बदलकर सुल्तानपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने एक बार फिर पीलीभीत से दावेदारी पेश की और जीत दर्ज की।
वरुण गाँधी पर लगातार भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगते रहे। भड़काऊ भाषण देने को लेकर उन पर मामला भी दर्ज कराया गया था। 5 मार्च 2013 को, पीलीभीत की एक अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान उनके खिलाफ दर्ज दूसरे हेट स्पीच मामले में गाँधी को बरी कर दिया था।