इन सभी दलों से भाजपा कैसे है अलग, लालू और अखिलेश फिर बने अध्यक्ष

इस बात पर विवाद भी हुआ. शिवसेना में अध्यक्ष को लेकर अभी भी विवाद बना हैं. लोजपा में भी अध्यक्ष के लिए विवाद हैं। देश के कई दल ऐसे हैं जो अभी अध्यक्ष और चुनाव को लेकर उहापोह में हैं.

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akhilesh yadav and jp nadda
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  • समाजवादी पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव, अखिलेश के नाम पर लगेगी मुहर
  • राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष के लिए लालू यादव् ने किया नामांकन, फिर बनेंगे अध्यक्ष

प्रीति राय | नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी (bjp) के सभी नेता भाजपा को एक अलग पार्टी कहते हैं. इस बात में दम भी है. क्योंकि भाजपा में तीन साल अध्यक्ष का चुनाव हो जाता है। वर्षों बाद कांग्रेस में भी अध्यक्ष कोई गाँधी परिवार से नहीं बनने जा रहा है। अशोक गहलोत, शशि थरूर आदि नामों की चर्चा है.

देखने से ऐसा लगता है कि कांग्रेस का यह प्रयास थोड़ा बदलाव की ओर है. वहीँ दूसरी पार्टियों की बात कर लें. समाजवादी पार्टी का लखनऊ में दो दिवसीय अधिवेशन हुआ जिसमें फिर से नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया है. कल अखिलेश यादव का फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की पूरी संभावना है. राजद में फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए लालू प्रसाद यादव ने नामांकन किया है. उन्हें भी फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाएगा।

वहीँ आंध्र प्रेदश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डडी भी ( YSRCP ) आजीवन अध्यक्ष चुने गए. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी की ओर से नामांकन के 22 सेट दाखिल किए गए थे और कोई अन्य नामांकन नहीं होने के कारण, उन्हें रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित कर दिया गया.

इस बात पर विवाद भी हुआ. शिवसेना में अध्यक्ष को लेकर अभी भी विवाद बना हैं. लोजपा में भी अध्यक्ष के लिए विवाद हैं। देश के कई दल ऐसे हैं जो अभी अध्यक्ष और चुनाव को लेकर उहापोह में हैं. ऐसी घटनाओं को देखने के बाद भाजपा को सभी दलों से अलग मान लिया जाता है. तमाम दल है जो अब पार्टी में प्रजातंत्र की बात करने लगे हैं।

राष्ट्रीय दल पाने का मानक यह है.

यदि कोई पंजीकृत दल निम्न शर्तों में कोई एक शर्त पूरी करता है तो उसे राष्ट्रीय स्तर की मान्यता भारतीय चुनाव आयोग देता है;

  • कोई पंजीकृत दल तीन विभिन्न राज्यों में लोक सभा की कुल सीटों की कम से कम २% सीटें हासिल की हों।
  • कोई दल ४ अलग अलग राज्यों में लोक सभा या विधान सभा चुनाव में कम से कम ६% मत पाये हों और लोक सभा में कम से कम ४ सीटें हासिल की हों।
  • किसी भी दल को कम से कम चार या उससे अधिक राज्यों में राज्यीय दल की मान्यता प्राप्त हो।

 

 


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