- कांग्रेस के झगड़े में राजस्थान की जनता फुटबाॅल बनी हुई है : डाॅ. पूनियां
- कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों के गुमशुदा के पोस्टर लगे हैं
पोल टॉक नेटवर्क | जयपुर
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां (Satish Poonia BJP PRESIDENT) ने कहा कि कैबिनेट विधानसभा सत्र बुलाने के लिये जब सिफारिश करती है, तो राज्यपाल को संवैधानिक मर्यादाओं के तहत सत्र बुलाना होता है. कांग्रेस राज्यपाल पद की गरिमा पर हमले कर रही है. इसको लेकर प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ( CM ASHOK GEHLOT) और राज्य सरकार राज्यपाल पद की गरिमा के खिलाफ बयान दे रहे हैं, जो मुख्यमंत्री पद की गरिमा के भी खिलाफ है।
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डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असंतुलित होकर राजभवन एवं राज्यपाल को लेकर जो बातें कहीं, वो चिंताजनक एवं निंदनीय है। उन्होंने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस इस सियासी शोरगुल में भाजपा और राज्यपाल पर झूठे आरोप लगा रही है, संविधान एवं कानून की अनुपालना राज्यपाल कांग्रेस के दबाव की राजनीति से तो करेंगे नहीं, वे संविधान एवं कानून के अनुसार फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
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डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुझे ज्ञात हुआ है कि राज्यपाल महोदय ने सत्र बुलाने को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है, लेकिन इस तरीके की जिद की राजनीति कांग्रेस कर रही है, वो निंदनीय है, 21 दिन के नोटिस के जरिये सत्र बुलाने की एक विधिवत प्रक्रिया होती है, इसके अलावा विधायकों के भी अपने अधिकार हैं जो सदन ने उनको दिये हैं।
उन्होंने कहा कि विरोधावास तो कांग्रेस एवं सरकार के कामकाज से साफ दिखता है कि कोरोना के गम्भीरता के कारण 13 मार्च को सदन का सत्रावसान हुआ था. उस समय कोरोना का आंकड़ा बहुत कम था और अब आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में वो चर्चा कोरोना की करना चाह रहे हैं, खतरा बरकरार है. यह बात खुद राज्य सरकार स्वीकार भी कर रही है, इस मामले में कांगे्रस को जिद नहीं करनी चाहिए, राज्यपाल संवैधानिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
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डाॅ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस सरकार के पास बहुमत होता और भय नहीं होता. तो होटल में इतने दिन तमाशा नहीं होता. विधायक अपने घर रहते, जनता के बीच रहते, आमजन के काम होते, लेकिन अब हालात ऐसे हो गये हैं कि कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों के गुमशुदा के पोस्टर लगे हैं. सरकार के मंत्रालयों में आमजन के काम नहीं हो रहे है. जिससे प्रदेश के लोग परेशान हैं और अफसरशाही में सरकार ने भ्रम पैदा कर दिया है।