- पिछले कुछ वर्षों में सपा-बसपा और कांग्रेस के दूर हुआ ब्राह्मण मतदाता
- संगठन के हिसाब से सभी दलों में एक जैसा हाल, भाजपा में सबसे अधिक विधायक
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
उत्तर प्रदेश में इन दिनों ब्राह्मणों पर जुल्म होने की बात हो रही है. भाजपा के अलावा सभी दल इसपर मुखर हो चुके हैं. प्रमुख रूप से सत्ता में रहने वाले दल जैसे कांग्रेस, सपा, बसपा इसे मुद्दा बना लिए हैं. इसे लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता योगी सरकार पर हमलावर हैं. उत्तर प्रदेश में कुल 12 प्रतिशत के आसपास ब्राह्मण वोटर हैं. जिन्हें लेकर समय समय पर राजनीति होती रही है. अभी तक ये 12 प्रतिशत सभी दलों में रहते थे. लेकिन वर्ष 2014, 2017 और 2019 में ब्राह्मण वोटर भाजपा की और चले गये. और बसपा, सपा के साथ कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ. इसी बात को लेकर यह पूरा मामला गरमाया है. साल 2017 में भाजपा के कुल 57 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीतकर आये. इतनी सीटें तो सपा और बसपा की निकली ही नहीं. बसपा में दो, कांग्रेस में एक और सपा में मात्र तीन ब्राह्मण ही चुनाव जीतकर आये. लोकसभा में भी इसका असर दिखा. आइये पूरी कहानी पढिये सिर्फ पोलटॉक पर.
2009, 2014 में किसके साथ रहे ब्राह्मण!
सीएसडीएस ने अपने एक सर्वे में बताया कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में ब्राह्मण किसके साथ नजर आया. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में 31 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट किया था. जबकि 2014 में उसके पक्ष में सिर्फ 11 फीसदी ही रह गए. 2009 में बीजेपी को 53 परसेंट ब्राह्मणों ने वोट किया. जबकि 2014 में 72 फीसदी का समर्थन मिला. बीएसपी को इस वर्ग का 2009 में 9 फीसदी जबकि 2014 में सिर्फ 5 फीसदी वोट मिला. समाजवादी पार्टी इन्हें नहीं रिझा पाई. उसे 2009 और 2014 दोनों लोकसभा चुनाव में पांच-पांच फीसदी ही ब्राह्मण वोट हासिल हुए.
समाजवादी पार्टी की स्थिति
समाजवादी पार्टी के 24 प्रवक्ताओं की लिस्ट में बस दो ब्राह्मण घनश्याम तिवारी और पवन पाण्डेय हैं. पवन पाण्डेय अखिलेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. वहीँ विधान परिषद में सपा के 50 सदस्य हैं. लेकिन केवल एक ब्राह्मण सदस्य हैं कमलेश पाठक. अब स्थिति समझी जा सकती है. वहीँ 48 विधायकों में मात्र तीन विधायक ही चुनाव जीत कर आये हैं. अमिताभ वाजपेयी, मनोज कुमार पाण्डेय, आशुतोष उपाध्याय सपा विधायक हैं.
ब्राह्मण नेता भाजपा में डरे हुए हैं …घनश्याम तिवारी
इस मुद्दे पर सपा प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने पोलटॉक से बात चीत में बताया कि भाजपा में जो ब्राह्मण नेता हैं वो डरे हुए हैं. उन्हें सवाल करना था लेकिन वो अब चुप हैं. यह स्थिति ठीक नहीं है. प्रशासन ठीक नहीं कर रहा है. विकास दुबे मामले में जैसा प्रशासन ने किया यह प्रमाण है. यह ब्राह्मणों पर अत्याचार है.
कांग्रेस में एक ही ब्राह्मण विधायक…
यूपी में 2017 में कांग्रेस के कुल 7 प्रत्याशी (अब 6) जीते थे. जिसमें से बस एक ब्राह्मण विधायक हैं उनका नाम है आराधना मिश्रा. मतलब, कांग्रेस से ब्राह्मणों का मोहभंग हुआ और वोट कहीं और सिफ्ट हो गया. और कांग्रेस के एमएलसी दीपक सिंह हैं. वहीँ यूपी कांग्रेस के संगठन में ललितेशपति त्रिपाठी और योगेश दीक्षित को जगह मिली है.
ब्राह्मण अपना अधिकार लेगा : जितिन प्रसाद
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पोलटॉक से बातचीत में बताया कि ब्राह्मण सबके लिए सहाय होता था और अब वो असहाय महसूस कर रहा है. हम इसी लिए ब्राह्मण चेतना परिषद निकाल रहे हैं. ब्राह्मण अपना अधिकार वापस लेगा. हमारे पास लोग आ रहे हैं. अभी तो कोई चुनाव नहीं है फिर ही यह जरुरी मुद्दा है. हम इस अभियान को शुरू किये है. लगातार इसपर काम होगा. प्रदेश में ब्राह्मण परेशान हो रहे हैं. लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं. उनके मन में सरकार के प्रतिविश्वास कम हो रहा है.
ब्राह्मण चेतना परिषद् द्वारा #ब्रह्म_चेतना_संवाद की शुरुआत कल 10 जुलाई 2020 को जनपद #बदायूँ से | pic.twitter.com/fHgzTdOAKp
— Jitin Prasada जितिन प्रसाद (@JitinPrasada) July 9, 2020
बसपा से पूरी तरह ब्राह्मण हुए दूर
बसपा की जब 2007 में यूपी में पूर्णबहुमत की सरकार बनी तो उस समय ब्राह्मणों को बसपा का साथी बताया गया था. बसपा को वर्ष 2012 में बड़ा नुक्सान हुआ. वर्ष 2014 में बसपा का लोकसभा में खाता तक नहीं खुला. वहीँ वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में बसपा के बस दो ब्राहमण नेता ही चुनाव जीत सके. लेकिन अब वो दोनों बसपा के विधायक नहीं है. रामवीर उपाध्याय भी बसपा से बाहर की स्थिति में हैं.
2. साथ ही, यूपी सरकार अब खासकर विकास दुबे-काण्ड की आड़ में राजनीति नहीं बल्कि इस सम्बंध में जनविश्वास की बहाली हेतु मजबूत तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई करे तो बेहतर है। सरकार ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे अब ब्राह्मण समाज भी यहाँ अपने आपको भयभीत, आतंकित व असुरक्षित महसूस करे।
— Mayawati (@Mayawati) July 12, 2020
भाजपा को तीन चुनाव से ब्राह्मणों का मिल रहा साथ…
भाजपा जब चुनाव में गई तो उसे बड़ी जीत मिली. वर्ष 2017 में जब भाजपा विधान सभा चुनाव में गई तो उसे ब्राह्मणों का साथ मिला. पहली बार झूमकर ब्राह्मणों ने भाजपा को वोट किया. जिससे भाजपा को खूब सीटें मिली. पहली बार पूर्ण बहुमत से भी अधिक सीटें मिलीं. इतना ही नहीं वर्ष 2014 और 2019 में भी साथ मिला. भाजपा के संगठन की स्थिति देखिये. प्रदेश उपाध्यक्ष में दो ब्राह्मण चेहरा है. रंजना उपाध्याय, डाॅ0 राकेश त्रिवेदी और महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ल, विजय बहादुर पाठक को मिली है जिम्मेदारी.
विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मनोज मिश्र ने पोलटॉक से बातचीत में बताया कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए इस तरह का आरोप लगा रही है. भाजपा में सभी का हित सुरक्षित है. किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है. विपक्ष सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फ़ैलाने में लगा है.
23 एमएलसी में बस 4 ब्राह्मण
डा0 दिनेश शर्मा, डा0 यज्ञदत्त शर्मा, अरूण पाठक, विजय बहादुर पाठक विधान परिषद सदस्य हैं.
विधानसभा में भाजपा के ब्राह्मण विधायक
सुनील शर्मा, संजय शर्मा, अनिल शर्मा, श्रीकान्त शर्मा, योगेन्द्र उपाध्याय, आर.के. शर्मा, राजेश कुमार मिश्रा, बाला प्रसाद अवस्थी, मंजू त्यागी, अरविन्द गिरी, शशांक द्विवेदी, ज्ञान तिवारी, रजनी तिवारी, हृदय नारायण दीक्षित, अविनाश त्रिवेदी, ब्रजेश पाठक, सुरेश चन्द्र तिवारी, देवमणी दुबे, सुनील दत्त द्विवेदी, अर्चना पांडेय, प्रतिभा शुक्ला, महेश त्रिवेदी, सुरेन्द्र मैथानी, राकेश गोस्वामी, आनन्द शुक्ला, प्रकाश द्विवेदी, चन्द्रिका उपाध्याय, धीरज ओझा, हर्ष बाजपेयी, शरद अवस्थी, सतीश शर्मा, इन्द्रप्रताप तिवारी, सुभाष त्रिपाठी, रामफेरन पांडेय, कैलाश नाथ शुक्ला, विनय द्विवेदी, प्रेमनारायण पांडेय, सतीश द्विवेदी, चन्द्रप्रकाश शुक्ला, दिग्विजय नारायण ’जय चौबे’, शीतल पाण्डेय, जटा शंकर त्रिपाठी, रजनीकान्त मणि त्रिपाठी, कमलेश शुक्ला, सुरेश तिवारी, उपेन्द्र तिवारी, रमेश चन्द्र मिश्रा, नीलकंठ तिवारी, रविन्द्र तिवारी, रत्नाकर मिश्रा, श्री भूपेश चौबे चुनाव जीतकर आये.
(नोट : सपा, कांग्रेस और भाजपा की यह पूरी जानकारी उनकी आधिकारिक वेबसाइट से ली गई है.) |