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कोरोना के प्रति सही जानकारी अभी लोगों तक नहीं पहुँच पाई है. इसके लिए सरकार और सामाजिक संस्थाएं खूब काम कर रही हैं. लेकिन कुछ लोक कलाकारों ने भी इसपर काम किया है. चाहे उन्होंने पेंटिंग का सहारा लिया हो या कॉमिक्स का या एमी माध्यमों से वो जागरूक कर रहे हैं. इसी कड़ी में राजस्थान के डूंगरपुर जिले में आलोक शर्मा ने कोरोना के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है. वागड़ी भाषा में ई-कॉमिक बुक प्रकाशित की है। कॉमिक बुक सभी को पसंद आ रही है. इसके चित्र और कहानी लोगों को खूब अच्छे लग रहे हैं. कॉमिक बुक की इसी खासियत का सदुपयोग अब कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किया जा रहा है।

आलोक शर्मा की कॉमिक वागड़ी भाषा में “कोरोना थकी लड़वू है, घर मां रेवू है” है जिसका अर्थ होता है ‘कोरोना से लड़ना है, घर में ही रहना है। इस कॉमिक बुक में स्थानीय भाषा और लहजे के साथ-साथ रोचक कहानी और चित्रों के माध्यम से लोगों को कोरोना के खतरे और इससे बचने के उपाय बताए गए है। इस कॉमिक की खास बात यह है कि इसके चित्रों में स्थानीय जनजाति के रहन-सहन, घर और बोली के एलिमेंट डाले गए है। इससे न केवल स्थानीय भाषी लोगों को प्रस्तुत कर पाती है बल्कि उन्ही के जैसे पात्रों से उनका मन मोह लेती है।
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आलोक शर्मा को इस कॉमिक को बनाने में विभिन्न लोगों ने सहयोग किया है। आलोक शर्मा चित्रकला में तो माहिर हैं लेकिन उन्हें वागड़ी भाषा नहीं आती थी जिसमे विनय पुंजोत, रमीला प्रजापत, संजय डामोर, सिद्धार्थ डिंडोर, और हरीश चंद्र ने इनकी मदद की है। डिजिटल कलरिंग में उनका सहयोग मानवी शर्मा ने किया है।
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आलोक शर्मा डूंगरपुर में स्कूल में कला विषय को पढ़ाते है। पूर्व में भी वह ऐसी ही कईं कलात्मक चीज़ों के माध्यम से जनजागृति के चित्र बना चुकें है वह चित्रों के जरिए समाज को जागरूक दिखाने की कोशिश करते हैं. कोरोना महामारी के समय इनकी इस कोशिश ने राजस्थान के कई आला अधिकारियों और नेताओं से वाहवाही पाई है और स्थानीय प्रशासन ने इन्हें सराहा है। वागड़ी भाषा राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा और सीमावर्ती गांवों में बोली जाती है। इन दोनों शहर के लोग महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश के साथ गल्फ देशों में भी रोजगार की करते हैं। इनमें से कईं लोगों ने कोरोना संक्रमण के दौरान जिलें में वापसी की थी जिससे यहाँ कोरोना से कई लोग पॉजिटिव पाए गए है। यहां कोरोना मरीजों की कुल संख्या 60 से ज्यादा है।
कॉमिक बुक और जागरूकता के अन्य माध्यमों से इस महामारी से बचा जा सकता है। आलोक शर्मा बताते हैं कि “कोरोना वायरस के खतरे के बीच आज यह हम सभी की परीक्षा है कि हम एक अच्छे नागरिक सिद्ध हों। इसी दिशा में यह चित्र कथा एक छोटा सा प्रयास है। इस चित्र कथा का सारांश यह है कि हम अनुशासित रहते हुए एक जिम्मेदार नागरिक की तरह व्यवहार करें।”
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