- वर्ष 2019 में गाजीपुर से हार गए थे लोकसभा का चुनाव
- योगी और सिन्हा में मनमुटाव की कई बार आती रही खबरें
- कलराज के बाद अब मनोज को यूपी की राजनीति से किया गया बाहर
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास का कार्यक्रम सफल रहा. मंच से पीएम नरेन्द्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ की खूब तारीफ़ भी की. ये सभी बातें इस तरफ इशारा कर रही है कि अब योगी आदित्यनाथ का ग्राफ भाजपा में बढ़ता जा रहा है. अब मोदी के लिए नहीं बल्कि योगी की लिए चुनौती बनने वाले नेता हाशिये पर होंगे। मनोज सिन्हा और कलराज मिश्रा इसके सबसे बड़े उदाहरण है. उत्तर प्रदेश की राजनीती में जो भी दिग्गज भाजपाई नेता योगी के लिए चुनौती बनता दिखा वो अब यूपी की राजनीति से बाहर हो जायेगा। संकेत तो यही मिल रहे हैं. सिन्हा मोदी नहीं योगी के लिए चुनौती बन रहे थे.
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कलराज और मनोज सिन्हा दोनों गाजीपुर से हैं. जब 2019 का चुनाव कलराज ने नहीं लड़ा तो उनके जानने वाले कहने लगे थे कि हो सकता है इन्हें राज्यसभा में भेज दिया जाय.मगर जब उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया तो इस बात पर मुहर लग गई कि कलराज को यूपी की राजनीति से बाहर कर दिया गया है. कलराज और मनोज सिन्हा दोनों पूर्वांचल से आते हैं. और योगी अदित्यानाथ भी उसी क्षेत्र से आते हैं. जानकर बता रहे हैं कि योगी के लिए भविष्य में कलराज और मनोज सिन्हा दोनों यूपी के लिए चुनौती दे रहे थे. इन दोनों नेताओं की लीडरशिप भी उम्दा रही है.
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पीएम नरेंद्र मोदी की उम्र 70 साल होने वाली है. कलराज की उम्र 80 होने वाली है कलराज अटल जी के समय में उनके ख़ास रहे. उन्हें कई जिम्मेदारी दी गई थी. मनोज सिन्हा की उम्र भी मात्र 61 साल है. और योगी आदित्यनाथ की उम्र मात्र 48 साल है. उम्र के हिसाब से अभी मनोज सिन्हा सक्रिय राजनीति में फिट बैठते हैं. मगर उन्हें यूपी की राजनीती से बाहर कर दिया गया है. अब योगी को चुनौती देने वाला निकट में कोई नहीं दिखता है. पूर्वांचल से दोनों बड़े नेता बाहर हो गये हैं.
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मनोज सिन्हा को मोदी का करीबी भी बताने का प्रयास लोग करते हैं. मगर मोदी सरकार आने के बाद से मनोज सिन्हा को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है. उन्हें कैबिनेट मंत्री भी नहीं बनाया गया. जिस मोदी मंत्रिमंडल में नये नये नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाया गया उसी मोदी कैबिनेट में मनोज सिन्हा को राज्यमंत्री ही बनाया गया. फिर लोग क्यों करीबी कहते हैं ? करीबी जो थे या हैं वो प्रमुख की भूमिका में हैं.
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संघ से नहीं जमती मनोज सिन्हा की ? जानकार बनाते हैं कि मनोज सिन्हा की आरएसएस से नहीं बैठती है. उन्हें इसीलिए किनारे किया जाता रहा है. लोकसभा चुनाव् में इन्हें हार का सामना करना पड़ा. और यही से इनका मामला पलट गया. चुनाव के दौरान योगी से इनकी नाराजगी भी सामने आई थी. मनोज सिन्हा को लोग यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें जीत मिलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 6, 2020
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