
- 19 साल की उम्र में गया था जेल, 31 साल बाद हुई रिहाई
- तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने बचा दी जान
पोल टॉक नेटवर्क | नई दिल्ली
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी (EX PM INDIA Rajeev Gandhi ) के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन (A. G. Perarivalan) को सुप्रीम कोर्ट से रिहाई के आदेश मिल गए. इसके बाद से कांग्रेस पार्टी आक्रामक है. कांग्रेस इसके लिए भाजपा सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी (PM NARENDRA MODI) को जिम्मेदार बताने में लगी है। तो आइये जानते है कौन है वो हत्यारा और कैसे हुई उसकी रिहाई ? ए. जी. पेरारिवलन (A. G. Perarivalan) कैसे फांसी के फंदे से बचकर लौट आया है। 19 साल की उम्र में ए.जी. पेरारिवलन की गिरफ़्तारी हुई थी और अब 31 साल बाद रिहाई हुई। इस समय ए. जी. पेरारिवलन 50 साल का हो गया है। पूरी बातों को समझने के लिए पहले वो घटना समझना होगा जो 1991 में घटी थी। जिस घटना में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी (EX PM INDIA Rajeev Gandhi ) की मौत हुई थी। पढ़िए पोल टॉक की ये ख़ास रिपोर्ट |
इसलिए कांग्रेस हुई है नाराज
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन (A. G. Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है। पेरारिवलन पिछले 30 वर्षों से जेल की सजा काट रहा था और उसे अब रिहाई मिल गई है। जो कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या के केस में अपने तीन अन्य साथियों के साथ दोषी ठहराया गया था। पेरारिवलन के साथ-साथ मुरुगन, संथन और नलिनी को उम्रकैद की सजा दी गई। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ( RANDEEP SURJEWALA ) ने ए.जी. पेरारिवलन की रिहाई को दुखद बताया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 9 सितंबर 2018 को तब की तमिलनाडु की एआईएडीएमके-बीजेपी सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सिफारिश भेजी थी कि राजीव गांधी के सातों हत्यारों को रिहा कर दिया जाए. राज्यपाल ने बिना निर्णय लिए मामला राष्ट्रपति को भेज दिया. राष्ट्रपति ने भी कोई निर्णय नहीं लिया.
क्या थी वो घटना ?
21 मई, 1991 : तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में महिला आत्मघाती हमलावर के विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का निधन। महिला की पहचान धनु के रूप में हुई।
ऐसे मौत से बच गया ए. जी. पेरारिवलन
ए. जी. पेरारिवलन बड़ा नसीब वाला है. 31 साल तक जेल में रहा. वहीं उनसे जेल में पढ़ाई की। उसे जब सुप्रीम कोर्ट से 1999 में मौत की सजा मिली तो उसने 2001 में अपनी दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी। 11 साल बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद 9 सितंबर 2011 को फांसी का दिन तय हुआ। उसकी मां को शव लेने आने के लिए पत्र भी गया। लेकिन फांसी से ठीक पहले तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दोषियों की मौत की सजा कम करने की मांग की। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने फांसी के आदेश पर रोक लगा दी। पेरारिवलन ने 2014 में तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की। जो पिछले 7 सालों से लंबित थी। 2018 में प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने इस पर राज्यपाल को अपनी सिफारिश दी और पेरारिवलन की उम्रकैद पूरी होने से पहले उसे रिहा करने की मांग की। उसे भी ढाई साल तक लटकाने के बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा कर दिया।