- देश के दो दिग्गज राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बातें
- देश के नवयुवकों और छात्रों के हित ने किये गए कार्यों को कोई भुला नहीं सकता
जयपुर से तौफीक़ हयात की रिपोर्ट
भारत के दो ऐसे राजनेता जो स्वतंत्रता संग्राम में भी डटे रहे और पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद पर भी सुशोभित हुए. राजनीति के अलावा इन दोनों नेताओं ने छात्रों और नवयुवकों के लिए खूब काम किया. जिसे कोई भुला नहीं सकता. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को समय समय पर देश याद करता है. शिक्षक दिवस पर पहले बात होगी राधाकृष्णन की फिर देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की.
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डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन (SHIKSHAK DIWAS)) का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में हुआ था। वह आजाद भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 13 मई 1962 से 1967 तक रहा। इनका नाम भारत के महान राष्ट्रपतियों की प्रथम पंक्ति में शामिल हैं। डॉक्टर राधाकृष्णन के अनुसार शिक्षक वह नही जो छात्रों के दिमाग मे तथ्यो को जबरन ठूसे बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौती के लिए तैयार करे।शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते है जो बिना किसी मोह के समाज को तरासते है।
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शिक्षकों को की इसी महत्ता को सही स्थान दिलाने के लिए डॉक्टर राधाकृष्णन ने पुरजोर प्रयास करे और इन्ही प्रयासों के कारण उन्हें एक अच्छे शिक्षक के तौर पर भी जाना जाता है। उन्होने अपने जीवन के 40 साल शिक्षक बनकर भी गुजारे हैं । इस कारण उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस (SHIKSHAK DIWAS) के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति पद ग्रहण किया।
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वे सन 1947 से 1949 तक संविधान सभा के सदस्य भी रहे। राधाकृष्णन ने भी पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की भांति स्वेच्छा से राष्ट्रपति के वेतन से कटौती कराई थी। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की तुलना में डॉक्टर राधाकृष्णन का कार्यकाल काफी कठनाइयों से भरा था।
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इनके कार्यकाल में जहां भारत-चीन युद्ध और भारत-पाक युद्ध हुआ वही दो प्रधानमंत्री की पद पर रहते मृत्यु भी हो गई थी। 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो भारत को अपमानजनक पराजय का सामना करना पड़ा था। इससे डॉक्टर राधाकृष्णन ने पंडित जवाहरलाल नेहरु की आलोचना की थी। वैसे तो डॉक्टर राधाकृष्णन पंडित नेहरू के करीब थे लेकिन उनका मानना था कि आलोचना की जगह आलोचना तथा मार्गदर्शन कि जगह मार्गदर्शन किया जाना व्यवस्था को मज़बूत करता है।
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देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को हुआ था। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले रास्ट्रपति थे। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वकालत में मास्टर डिग्री किया था। अपने जीवन में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने परिवार और शिक्षा के लिए बहुत त्याग किया। साल 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें इंडियन सोसायटी से जुड़ने का प्रस्ताव दिया लेकिन पारिवारिक और पढ़ाई की जिम्मेदारी के कारण उन्होने इस प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया।
इन परिस्थितियों के कारण पहली बार उनकी पढ़ाई पर असर पड़ा और हमेशा टॉप करने वाले राजेंद्र प्रसाद वकालत की पढ़ाई केवल पास ही कर पाए। 1906 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने बिहारियों के लिए स्टूडेंट कॉन्फ्रेंस की स्थापना की। यह अपने आप में एक बेहद नया और अलग क़िस्म का ग्रुप था। इतना ही नहीं इस ग्रुप ने बिहार के कई बड़े नेता दिए जिसमें श्री कृष्ण सिन्हा और अनुग्रह नारायण मुख्य है।
(लेखक पोलटॉक में इंटर्नशीप कर रहे ) |