- दो बार मंत्री, सांसद और सात बार विधायक रहे पारसनाथ यादव हैं
- 2012 में प्रदेश में सपा की में वह विधायक बने और मंत्री चुने गए
संतोष कुमार पाण्डेय | जौनपुर
यूपी के जौनपुर जिले की अगर बात की जाए और समाजवादी पार्टी का नाम लिया जाए तो एक नेता का ही नाम सबसे ऊपर आता है, वह कोई और नहीं दो बार मंत्री, सांसद और सात बार विधायक रहे पारसनाथ यादव (parasnath yadav mla) हैं। लेकिन अब पारसनाथ यादव नहीं रहे. उनका शुक्रवार को निधन हो गया. अभी मल्हनी से सपा के विधायक थे. पूरे पूर्वांचल में उनसे बड़ा सपा का चेहरा कोई नज़र नहीं आता है। जब भी सपा की सरकार बनी वह मुलायम सिंह के सबसे करीबी होने की वजह से वह मंत्री बने।
अगर उनकी सियासत की पारी की बात की जाए तो वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य भी हैं जब जनता दल से टूटकर समाजवादी पार्टी बनी तभी से वह मुलायम सिंह के करीबी माने जा ते रहे हैं। अगर उन्हें शिवपाल के बाद मुलायम सिंह का सबसे करीबी माना जाए तो यह गलत नहीं होगा। अब बात कर लें जौनपुर में उनके सियासी कद की तो वर्ष 2012 में वह विधायक बने और मंत्री चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान डॉक्टर के पी यादव को सपा ने लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर सदर सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
वरिष्ठ समाजवादी नेता, पूर्व मंत्री व विधायक पारस नाथ यादव जी के निधन की खबर से स्तब्ध और दुःखी हूं। यह समाजवादी आंदोलन और मेरी व्यक्तिगत क्षति है। ईश्वर दिवंगत की आत्मा को शांति प्रदान करें। मैं शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं!
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) June 12, 2020
पारसनाथ यादव इससे पहले सपा के सांसद रह चुके थे इसलिए उनको टिकट ना मिलना उन्हें उनका सियासी कद को घटाता हुआ नजर आने लगा। मुलायम सिंह से अच्छे तालमेल की वजह उन्होंने ऐन मौके पर लोकसभा की उम्मीदवारी अपने पक्ष में कर वा ली। एक बार फिर वह लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे वहीं के पी यादव ने सपा का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। हालांकि, पारसनाथ यादव चुनाव नहीं जीत पाए इसके बावजूद उनका कद कम ना हुआ। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर मल्हनी विधानसभा से विधायक चुने गए भाजपा की आंधी में भी उनका जनाधार कम ना हुआ। वह सात बार विधायक रहे हैं दो बार मंत्री बनाए गए कैबिनेट के और दो ही बार सांसद चुने गए हैं।
बात अगर उनके परिवार की की जाए तो उनकी पत्नी बरसठी ब्लॉक की प्रमुख रही उनके निधन के बाद उनकी बहू ने इस कुर्सी पर कब्जा जमाया। उनका एक बेटा जिला पंचायत सदस्य भी है। ऐसा नहीं है कि सपा में जिले में कोई और बड़ा नेता नहीं है लेकिन पारसनाथ यादव के आगे सभी का कद छोटा नजर आता है। इसकी एकमात्र वजह है उनका मुलायम सिंह से बेहद करीब रहना।