- प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक जमीन मजबूत किया
- अशोक गहलोत और वसुंधरा से भी ज्यादा चर्चा में उनका नाम रहा है
जयपुर से आकाश शर्मा की रिपोर्ट
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा और जनसंख्या में देश का सातवाँ बड़ा राज्य राजस्थान अनेक तरह से समृद्ध है। इस राज्य की अपनी कई विशेषताएँ हैं, उन विशेषताओं में एक विशेष बात यह है कि राजस्थान ही देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जिसके सात मुख्यमंत्री एक बार से अधिक बार चुने गए हैं। आज की युवा पीढ़ी ने बार-बार अशोक गहलोत (तीन कार्यकाल) और वसुंधरा राजे (दो कार्यकाल) को एक-दूसरे के बाद राज्य का मुख्यमंत्री बनते देखा है। इनसे पहले भी कई नेता हैं, जो एक बार से अधिक बार मुख्यमंत्री बने। वो ज़िंदा तो नहीं है लेकिन उनकी चर्चा हमेशा ज़िंदा है. आइए, जानते हैं उनके बारे में…..
जोधपुर के जयनारायण व्यास
जोधपुर के एक ब्राह्मण परिवार में जयनारायण व्यास (Jai Narayan Vyas) का जन्म हुआ। भारत की स्वतंत्रता से पूर्व व्यास ने 1920 के दशक की शुरुआत में ‘मारवाड़ हितकरणी सभा’ का गठन किया। जब व्यास ने स्वतंत्रता आंदोलन की ओर रुख किया तब 1924 में ‘मारवाड़ हितकरणी सभा’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 1934 में उन्होंने ‘जोधपुर सभा मंडल’ और 1938 में ‘मारवाड़ लोक परिषद’ का गठन किया। स्वतंत्रता के उपरांत वह जोधपुर राज्य के प्रधानमंत्री बने। भारत के लोकतांत्रिक हो जाने के बाद, वह राजस्थान के तीसरे मुख्यमंत्री बने। वह दो बार इस पद पर आसीन हुए। वह एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे।
इन पांच सांसदों ने जीत लिया जनता का ‘दिल’ और बना दिया बड़ा रिकॉर्ड
मोहनलाल सुखाडिया
मोहनलाल सुखाडिया (Mohan Lal Sukhadia) को ‘फाउंडर आॅफ़ माॅर्डन राजस्थान’ कहा जाता है। मोहनलाल जी कुल 38 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने। वह 17 वर्ष (1954 -1971) राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर रहे। उनके कार्यकाल में राजस्थान में अनेक निर्माण एवं विकास कार्य हुए। 17 वर्ष के कार्यकाल के दौरान बहुत ही अल्प समय के लिए राजस्थान में राष्ट्रपति शासन रहा और वह पुनः निर्वाचित हो कर आए। इस तरह मोहनलाल जी भी दो बार मुख्यमंत्री बने। बाद में वह कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के राज्यपाल भी रहे।
BIHAR CHUNAV 2020 UPDATE : बिहार में इस बार सत्ता के चेंजमेकर पप्पू यादव और ओवैसी
हरिदेव जोशी
स्वतंत्रता सेनानी हरिदेव जोशी (Hari Dev Joshi) राजस्थान के सातवें मुख्यमंत्री थे। वह मुख्यमंत्री पद के लिए तीन बार अलग-अलग कार्यकाल में मुख्यमंत्री चुने गए। वह 1952 में डूँगरपुर से और 1957 में घाटोल से चुने गए। इसके बाद वह बांसवाडा से लगातार आठ बार चुनकर आए। जोशी जी ने तीनों सीटों से एक भी चुनाव हारा। वह असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे। जयपुर का हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी आॅफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन और बांसवाडा का हरिदेव जोशी राजकीय गर्ल्स काॅलेज का नाम उनके ही सम्मान में रखा गया है।
BIHAR CHUNAV 2020 : लालू यादव ने कन्हैया कुमार के लिए चल दिया बड़ा दांव !
शिवचरण माथुर
कांग्रेस पार्टी के नेता शिवचरण माथुर (Shiv Charan Mathur) ने भी दोनों मुख्यमंत्री और राज्यपाल का पद सँभाला। राजस्थान के दसवें मुख्यमंत्री माथुर जी को, भरतपुर के राजा मानसिंह की हत्या के बाद आए देश में राजनीतिक तूफ़ान के चलते, इस्तीफ़ा देना पड़ा था। शिवचरण माथुर 1988 में एक बार पुनः राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने दसवीं लोकसभा के चुनावों में भी जीत दर्ज की। उन्हें वर्ष 2008 में असम का राज्यपाल बनाया गया और अगले वर्ष ‘कार्डियक अरैस्ट’ के कारण अपनी मृत्यु तक राज्यपाल रहे।
अंदर की बात : अशोक गहलोत और सचिन पायलट कितने दूर कितने पास ! पढिये पूरी रिपोर्ट
भैरोसिंह शेखावत
भैरोसिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) राजस्थान के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। वह पहली बार जनता पार्टी से, और अगली दो बार भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बने। वह 1952 से 2002 तक कई बार और अलग-अलग सीटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे। राजस्थान की राजनीति में अपना लोहा मनवाने के कारण, उन्हें ‘राजस्थान का एक ही सिंह’ कहा जाता था। भैरोसिंह जी देश के ग्यारहवें उपराष्ट्रपति भी रहे। उन्हें 2003 में पद्मभूषण से नवाजा गया।
( लेखक पोलटॉक में इंटर्नशीप कर रहे ) |