- संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई मान्यता नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के हमारे प्रयासों की गवाही
- प्रतिदिन 5000 मिलियन लीटर से अधिक उपचार क्षमता वाले 176 एसटीपी का निर्माण किया जा रहा
नई दिल्ली | पोल टॉक नेटवर्क
‘नमामि गंगे’ को दुनिया भर में ऐसी 150 से अधिक अनूठी पहल में चुना गया जो पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए की गई हैं। इनका चयन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा किया गया था, जिसे प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने और उनके संरक्षण के लिए बनाया गया है। कनाडा के मॉन्ट्रियल में 13 दिसंबर 2022 को हुए संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (सीओपी15) में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार को इससे जुड़ा पुरस्कार प्रदान किया गया। संयुक्त राष्ट्र 2021-30 के दशक को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के दशक के रूप में मना रहा है।
एनएमसीजी के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि नमामि गंगे को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के लिए दुनिया भर में शुरू की गईं शीर्ष 10 पहल में चुना जाना और इसे मान्यता देना सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा किए जा रहे ठोस प्रयासों की गवाही देता है। मुझे उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास इस दिशा में विश्व को एक रोडमैप प्रदान करेगा। कुमार ने इस अवसर पर मॉन्ट्रियल में यूएन डिकेड ऑन इकोसिस्टम रिस्टोरेशन यूथ टास्क फोर्स द्वारा आयोजित एक सत्र में भी भाग लिया। भारत की जनता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से आभार व्यक्त करते हुए कुमार ने नमामि गंगे के चयन के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम एवं खाद्य और कृषि संगठन का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा “यह हमारे लिए एक बहुत ही उपयुक्त समय है, क्योंकि भारत ने G20 की अध्यक्षता संभाली है और हमारे प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम और ‘वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर’ थीम के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।”
श्री कुमार ने बताया कि वर्ष 2014 में गंगा नदी के प्रदूषण को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 5 बिलियन डॉलर की लागत से नमामि गंगे कार्यक्रम को शुरू किया था। 8.61 बिलियन वर्ग किमी बेसिन वाली गंगा नदी पर देश की 40 फ़ीसदी से ज्यादा आबादी निर्भर है। वहीं वनस्पतियों और जीवों की 25000 प्रजातियां इस नदी में पाई जाती हैं। भारत की आस्था की प्रतीक गंगा हमारी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। भारत के लोगों की आस्था, भावनाओं और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए एक समग्र और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने के साथ नदी की पारिस्थितिकी और उसके स्वास्थ्य के व्यापक संरक्षण के लिए अभिनव मॉडल पेश किया है। हमारी परियोजना को इस तरह बनाया गया है कि कोई भी अनुपचारित जल- सीवेज या औद्योगिक अपशिष्ट गंगा नदी में न बहे। प्रतिदिन 5000 मिलियन लीटर से अधिक उपचार क्षमता वाले 176 एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि ठोस प्रयासों से अपशिष्ट उपचार क्षमता में काफी वृद्धि हुई है और डॉल्फ़िन, घड़ियाल, ऊदबिलाव, कछुओं आदि की बढ़ती आबादी से जल की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार हुआ है। वहीं, 30000 हेक्टेयर से अधिक वनरोपण किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई अर्थ गंगा की अवधारणा स्थायी नदी कायाकल्प के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित हुई है। इसने मिशन को जनआंदोलन में बदल दिया है। हाइब्रिड एन्यूटी मोड और वन सिटी-वन ऑपरेटर जैसी कई नवीन परियोजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के साथ एनएमसीजी देश और दुनिया में अन्य नदियों की सफाई के लिए रोडमैप तैयार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नमामि गंगे पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों की सफलता के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद नमामि गंगे कार्यक्रम की बारीकी से निगरानी करती है और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत नियमित रूप से इसकी समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा, ” प्रधानमंत्री द्वारा प्राप्त उपहारों को सालाना सार्वजनिक नीलामी में रखा जाता है, जिससे प्राप्त आय को गंगा नदी के संरक्षण के लिए क्लीन गंगा फंड में दिया जाता है।” उन्होंने कहा कि भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है और खराब जल प्रबंधन की समस्या का समाधान करने के लिए हमें युवाओं और महिलाओं से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम युवाओं को पानी का सम्मान करने के लिए प्रेरित करें तो जल संसाधनों का दुरुपयोग और कुप्रबंधन को पूरी तरह से रोका जा सकता है।
श्री कुमार ने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी के हिस्से के रूप में पानी के रिसाइकिल पर बहुत जोर दिया जा रहा है और जैव विविधता के संरक्षण और स्प्रिंग शेड आदि की रक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। युवा गंगा प्रहरी, गंगा दूत जैसे प्रशिक्षित स्वयंसेवी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा बेसिन में स्वयंसेवकों द्वारा डॉल्फ़िन के संरक्षण से जलीय प्रजातियों की संख्या में वृद्धि हुई है। कुमार ने कहा कि राफ्टिंग अभियान, साइक्लाथॉन, हैकथॉन, ‘इग्नाइटिंग यंग माइंड्स: रिजुविनेटिंग रिवर’ वेबिनार जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से युवा पीढ़ी को संरक्षण गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे हमारे लिए न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और मां गंगा के प्रति एक विनम्र भेंट भी है। वहीं, यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा, “नमामि गंगे मिशन भारत के लाखों लोगों की जीवनरेखा गंगा नदी को फिर से जीवंत करने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है।
ऐसे समय में जब यह महत्वपूर्ण है कि हम प्रकृति के साथ अपने शोषक संबंधों को बदल दें, इस कायाकल्प के सकारात्मक प्रभावों को कम करके नहीं आंका जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा, ” विश्व बहाली फ्लैगशिप 2022 के रूप में संयुक्त राष्ट्र दशक के सह-नेतृत्व में एफएओ, यूएनईपी के साथ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर 10 सबसे महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पहल को पुरस्कृत करते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है। इसे प्रेरित होकर हम बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और सभी के लिए बेहतर जीवन के लिए अपने पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करना सीख सकते हैं।” यह घोषणा तब की गई जब दुनिया भर के नेता संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के लिए मॉन्ट्रियल, कनाडा में एकत्रित हुए हैं। जहां सरकारें अगले दशक में प्रकृति के प्रति लक्ष्यों के एक नए प्रारूप पर सहमत हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन इससे पहले ग्लोबल वाटर इंटेलिजेंस द्वारा ग्लोबल वाटर अवार्ड्स 2019 में “पब्लिक वाटर एजेंसी ऑफ द ईयर” का पुरस्कार जीत चुका है। नेशनल ज्योग्राफिक इंडिया के साथ सह-निर्मित डॉक्यूमेंट्री ‘गंगा: रिवर फ्रॉम द स्काईज’ को एशियाई अकादमी क्रिएटिव अवार्ड्स, 2022 में 3 श्रेणियों- सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र, सर्वश्रेष्ठ करंट अफेयर्स और सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक इतिहास या वन्यजीव कार्यक्रम के तहत पुरस्कार प्राप्त हुए।