- यूपी की राजनीति में कम सक्रिय रहे लेकिन देश में लगातार बने रहे
- चंद्रशेखर भले ही छोटे कार्यकाल के लिए पीएम बने लेकिन हमेशा चर्चा में रहे
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (ex pm Chandrashekhar) का जन्म 1 जुलाई 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया में एक किसान परिवार में हुआ। चंद्रशेखर का विवाह दूजा देवी से हुआ एवं उनके दो पुत्र पंकज और नीरज शेखर हैं।
चंद्रशेखर का राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से ही शुरू हो हुआ। वह बचपन से ही राजनीति की ओर आकर्षित थे ।चंद्रशेखर की शिक्षा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है. 1950 से 1951 तक उन्होंने, राजनीति विज्ञान से मास्टर डिग्री हासिल की और उसके बाद समाजवादी आंदोलन से जुड़ गये। इस दौरान आचार्य नरेंद्र देव जैसे दिग्गज के साथ वो जुड़ गये।
बलिया के जिला प्रजा समाजवादी पार्टी के सचिव चुने गए और इसके बाद 1 साल के बाद वे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सचिव की बनाए गए हैं। चंद्रशेखर (ex pm Chandrashekhar) का उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के महासचिव बनाए गए । सन् 1962 में चंद्रशेखर को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए भी चुने गए हैं। जनवरी, सन् 1965 में चंद्रशेखर ने कॉंग्रेस में हिस्सा लिया और उसके बाद सन् 1967 ने उन्हें कांग्रेस संसदीय दल का महासचिव भी चुने गये।
चंद्रशेखर एक ऐसे ‘युवा तुर्क’ नेता है जो सामने आए है, जिन्होंने दृढ़ता, साहस एवं ईमानदारी के साथ निहित स्वार्थ के खिलाफ जंग भी लड़ी है। सन् 1969 में यंग इंडिया, जो की एक प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका थी उसके यह संस्थापक एवं संपादक भी रहे हैं । जिसका सम्पादकीय उस समय में एक विशिष्ट एवं उच्च संपादकों में से एक हुआ करता।
चन्द्रशेखर एक समाज परिवर्तन और वैचारिक स्तर पर काम करने वाले उम्दा नेता है, जिन्होंने राजनीति के खिलाफ हटकर विरोध किया है। सन् 1973- 1975 में चंद्रशेखर की मुलाक़ात जयप्रकाश नारायण से हुई जब उनका अव्यवस्थित दिनों की गिनती चल रही थीं। जिसकी ख़ास वजह यह बनी की वे जल्द ही कांग्रेस पार्टी की नजर में असंतोष का कारण भी बने।
सन् 25 जून, 1975 में चंद्रशेखर (ex pm Chandrashekhar) जो की सत्तारुढ़ पार्टी के सदस्य थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति में, शीर्ष निकायों और कार्य के सदस्य भी थे, लेकिन यह साल उनके लिए अच्छा साबित नहीं हुआ, क्योंकि आपातकालीन घोषित किए जाने के साथ आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत उन्हें ग़िरफ़्तार कर किए गया। चंद्रशेखर वह नेता हैं, जो सत्ता की राजनीति का विरोध एवं लोकतांत्रिक मूल्यों तथा सामाजिक परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता की राजनीति को महत्व देना अच्छे स जानते हैं।
‘मेरी जेल’ नाम की डायरी चंद्रशेखर ने आपात-काल के दौरान जेल में बिताए हुए वक्त में लिखी थी जो की प्रकाशित भी हुई। चंद्रशेखर राजनीति के साथ-साथ खेल-खलियान में भी एक उम्दा नेता रहे, उन्होंने 6 जनवरी 1983 से 25 जून 1983 तक दक्षिण के कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राज-घाट तक लगभग 4260 किलोमीटर की मैराथन दूरी पैदल तय की जिसका एकमात्र लक्ष्य था कि वह लोगों से मिले और उनकी महत्वपूर्ण समस्याओं को समझें और उस का समाधान करें।
चंद्रशेखर ने सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से तमिलनाडु केरल मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न भागों में लगभग 15 भारत यात्रा केंद्र की स्थापना भी की, ताकि वे देश के पिछड़े इलाकों में लोगों को शिक्षा प्रदान करें एवं जमीनी स्तर पर कार्य भी कर सकें।
1962 से वे फिर से संसद के सदस्य बने रहे सन् 1989 में चंद्रशेखर ने अपने गृह बलिया और बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा जहां से उन्होंने एक बड़ी जीत हासिल की और वे चुनाव जीत गए और बाद में उन्होंने महाराजगंज की सीट छोड़ दी।