- कई बार की सांसद और मंत्री मेनका की रोचक है राजनीतिक कहानी
- मेनका यूपी की कई लोकसभा सीटों से लड़ा है चुनाव
मीमांसा चतुर्वेदी | लखनऊ
मेनका का जन्म 26 अगस्त, 1956 में हुआ था. मेनका (maneka gandhi) राजनेता के साथ साथ एक लेखिका भी हैं। मेनका की शिक्षा दिल्ली के लॉरेंस स्कूल से हुई, इसके बाद उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज मे प्रवेश लिया। उसके बाद मेनका ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में जर्मन का भी अध्ययन किया।
मेनका का राजनीतिक जीवन सन् 1977 में जब कांग्रेस पार्टी के चुनाव में मेनका ने कड़ी मेहनत की फिर भी कांग्रेस पार्टी हार गई, जिसके बाद संजय गांधी (उनके पति) की अचानक मृत्यु हो जाने के कारण उनको सन् 1982 में राजनीति में आना पडा। सन् 1988, में ‘संजय विचार मंच’ पार्टी का जनता दल के साथ गठबंधन होने से उनको महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। इसी पार्टी से अपनी पहली चुनाव में जीत हासिल की।
सन् 1989 से 1990 तक मेनका को पर्यावरण मंत्री के रूप में नियुक्ति मिली। सन् 1996 में मेनका ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और सन् 1998 में चुनाव में जीत भी हासिल की।
सन् 1999 में मेनका ने भारतीय जनता पार्टी का खुलकर समर्थन किया।
सन् 2004 में मेनका गांधी, भारतीय जनता पार्टी में पूर्ण रूप से शामिल हो गई और पीलीभीत में अपनी जीत हासिल कर साल 2009 तक यहां पर कार्यभार संभाला। मेनका ने उसके बाद आंवला से लोकसभा चुनाव लड़कर दोबारा जीत हासिल की और 2014 तक कार्य किया। सन् 2014 में पीलीभीत से भी लोकसभा चुनाव लड़ा, और वहां से भी विजय प्राप्त की। सन् 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इनको कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में नियुक्ति दी गई, जिसका कार्यभार आज भी सँभाल रही हैं।
मेनका गांधी ने कुछ किताबें भी लिखी हैं जिनमें से कुछ है : द पेंगुइन बुक ऑफ हिन्दू नेम्स, इंद्रधनुष, द पेंगुइन बुक ऑफ हिन्दू नेम्स फार बायज़। मेनका गांधी के राजनीतिक जीवन में हमेशा ही उतार चढ़ाव लगा रहा। देखते हैं, आगे मेनका गांधी का कार्य कैसा रहता हैं।