यूपीए की सरकार में राहुल कैसे बन गये थे ‘सुपर पीएम’

देश की राजनीति में राहुल गाँधी (RAHUL GANDHI ) बहुत ही अहम रोल निभा रहे हैं. चाहे सांसद के रूप में या कांग्रेस में नेता के रूप में. आइए जानते हैं राजनीतिक कैरियर कैसा रहा है।

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RAHUL GANDHI
RAHUL GANDHI

  • राहुल गाँधी केरल के वायनाड से कांग्रेस के सांसद हैं
  • अमेठी से 2019 में राहुल की हो गई करारी हार

पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ

देश की राजनीति में राहुल गाँधी (RAHUL GANDHI ) बहुत ही अहम रोल निभा रहे हैं. चाहे सांसद के रूप में या कांग्रेस में नेता के रूप में. आइए जानते हैं राजनीतिक कैरियर कैसा रहा है। राहुल गांधी ने अपनी शिक्षा की शुरुआत सेंट कोलंबस स्कूल से की परंतु कुछ समय के बाद उत्तराखंड के मशहूर स्कूल ‘ददून’ में शिक्षा प्राप्त की। एक बड़े राजनीतिक परिवार से होने के कारण राहुल गांधी को बहुत से धमकियां मिलना शुरू हो गई, जिसके चलते उन्हें स्कूल और अपनी शिक्षा को छोड़ना पड़ा ! लेकिन जब राहुल गांधी ने 1889 में युवावस्था में कदम रखा तो दिल्ली में इन्होंने सेंट स्टीफ़न कॉलेज में प्रवेश लिया और 1 वर्ष तक पढ़ाई की फिर यहीं से हावर्ड यूनिवर्सिटी के लिए रवाना हो गए।

राहुल के पिता राजीव गांधी (RAJIV GANDHI) की हत्या के कारण सुरक्षा की दृष्टि से इनको फिर फ्लोरिडा कॉलेज में डाल दिया गया ! जहां उन्होंने 1994 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया इसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, ट्रिनिटी कॉलेज से अपना एमफिल किया।
सन् 2004 में राहुल गांधी ने राजनीतिक जीवन में कदम रखा और अपने परिवार के राजनीति में कदम से कदम मिलाने की पूर्ण कोशिश की।सन् 2004 में राहुल गांधी को कांग्रेस गढ़ अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुना गया।

सन् 2006 में राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ चुनाव प्रचार किया और इसको जीत कर कामयाबी हासिल की। सन् 2007 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की अहम भूमिका रही जिसके साथ ही इनको भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ और पार्टी के युवा संघ के सचिव भी बनाए गए। सन् 2008 में राहुल गांधी ने युवा राजनीति के सुधार के लिए 40 सदस्यों को युवा कांग्रेस में शामिल किया।

उत्तर प्रदेश में सन् 2009 में अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में अपनी सीट बरकरार रखी, जिसमें इस बार पार्टी ने 80 में से 20 सीटों पर कब्जा जमाया जिसमे इनकी बहुत मेहनत करी और 8 दिनों तक पूरे देश का दौरा करना पड़ा और तकरीबन 125 रैलियों को संबोधित भी करना पड़ा।सन् 2011 में राहुल गांधी को विरोध प्रदर्शन करने की वजह से जिला प्रशासन द्वारा गिरफ्तार कर लिया। सन् 2012 में उत्तर प्रदेश में चुनाव में इन्होंने 200 रैलियां आयोजित की और 28 सीटें जीती, उसके बावजूद भी यह चौथे स्थान पर आए।

पार्टी की कमान के कारण 19 जनवरी, 2013 में राहुल को सदस्यों की मीटिंग में इन्हें पार्टी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। सन् 2013 में राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार का खुलकर आलोचना किया जबकि प्रधानमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले दोषी आदमी चुनाव नहीं लड़ सकता का आदेश रद्द किए गया था।

सन् 2014 में राहुल गांधी ने अपनी सीट अमेठी को तो बचा लिया लेकिन उत्तर प्रदेश के कांग्रेस सीट के लिए बुरा साबित हुआ ! राहुल यूपीए की सरकार में सुपर पीएम की भूमिका दिखे थे.


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