- कांग्रेस के दिग्गज नेता और लम्बे समय तक राज्यसभा सांसद रहे गुलाम नबी की कहानी
- राज्यसभा से अपने बिदाई समारोह में भावुक हो गये थे गुलाम नबी आजाद
पोल टॉक नेटवर्क | दिल्ली
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad ) की शिक्षा वर्ष 1972 में कश्मीर विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान (जियोलॉजी) में एमएससी की डिग्री हासिल की और कुछ साल बाद शमीम देव आज़ाद से इनका विवाह हुआ ! इनको एक बेटी और एक बेटा है।
गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का राजनीतिक जीवन सन् 1973 में सक्रिय रूप से भाग लेने से हुई। सन् 1973 से लेकर सन् 1975 तक आजाद ब्लेसा की कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक सचिव के रूप में भी नियुक्त किए गए। जम्मू कश्मीर के युवा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नबी जी को नियुक्त किया गया और इसके बाद गुलाम नबी महासचिव, अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के रूप में भी नियुक्त किए गए।
ऑल इंडिया मुस्लिम यूथ कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद को सन् 1978 से लेकर 1981 तक कारोबार संभालने को दिया गया। सन् 1986 में नबी जी को कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किए गए तथा सन् 1987 में महासचिव के रूप में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अंदर भी कारोबार दिया गया।
गुलाम नबी आजाद एक उम्दा नेताओं के नाम में आते हैं क्योंकि आजाद जी को 9 बार महासचिव के पद के लिए भी मनोनीत किया गया है। गुलाम नबी सन 1982 में एक कंपनी के मामलों और कानूनों के केंद्रीय मंत्री के पदभार को संभाला और उसी मंत्रालय में बाद में राज्यमंत्री के रूप में भी नियुक्त किए गए। वॉशिंग निर्वाचन क्षेत्र में सन 1985 में गुलाम नबी आजाद पुनः निर्वाचित किए गए और फिर आजाद जी पोर्टफोलियो और गृह मंत्रालय के पद से निकलकर नागरिक आपूर्ति और खाद्य राज्य मंत्री के सिंहासन पर विराजमान हुए।
गुलाम नबी आजाद एक जिम्मेदार और खरे नेता है इसका सबूत हमें उनके कर्तव्य 1919 में जब उन्हें राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल सौंपा गया और उसके अगले ही साल नबी आजाद को कैबिनेट मंत्री संसदीय कार्य के लिए पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रालय में शामिल किया गया और उसी के बाद नबी जी को विमान वाहन का श्रम विभाग दिया गया जिससे यह तय जाहिर है की वे कांग्रेस के एक दिग्गज नेताओं में हैं।
सन् 2002 में नबी आजाद के वजह से कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 21 सीटों से जीत हासिल कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर दिखाया और वर्तमान यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के अधीन शहरी विकास एवं संसदीय और कानूनी मामलों के केंद्रीय मंत्री भी गुलाम नबी आजाद को ही चुना गया।
गुलाम नबी आजाद ने अपनी राजनीतिक जीवन में जम्मू और कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और यह के जीएम सादिक और सैयम मीर कासिम के बाद तीसरे मुख्यमंत्री भी रहे। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) अपने विचारों और बयानों को लेकर हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। उनके स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बहुत से सुझाव दिए हैं ! जिनमें से एक है कि अगर लड़कियों का विवाह 25 से 30 वर्ष के बीच हो जाए तो जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है।