- ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई
- वाराणसी की कोर्ट में सर्वे की रिपोर्ट नहीं हुई पेश
पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ /आदित्य कुमार
Gyanvapi case in supreme court: वाराणसी (varanasi) की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में मंगलवार का दिन बड़ा साबित हुआ। वाराणसी की कोर्ट में तीन तक हुए सर्वे की रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन पेश नहीं हो पाई. अब दो दिन की मोहलत मिल गई है. वाराणसी कोर्ट (varansi court) ने अहम फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने बाकी के दो कमिश्नर विशाल सिंह (vishal singh) और अजय प्रताप सिंह (ajay pratap singh ) को सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आदेश दिया है. डीजीसी सिविल और महिलाओं की तरफ से दाखिल अर्जियों पर कोर्ट में फिर सुनवाई होगी. अजय मिश्रा पर प्राइवेट कैमरामैन रखकर सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में लीक करने का आरोप है. अब अजय मिश्रा (ajay mishra court commissioner) के लिए कई सारे सवाल किया जा रहे हैं ? इसके पहले ही अजय मिश्रा को लेकर संदेह किया जा रहा था ?
इसके साथ ही मामले से जुड़े मुस्लिम पक्ष ने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india) में आज ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे (gyanvapi mosque survey) के मामले में सुनवाई की जाएगी। सभी को उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। वहीँ हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों अपनी अपनी दलीलें दे रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अहम हो जाती है। जब कि कल वाराणसी में उत्सव का माहौल बना रहा. पढ़िए पोल टॉक की ये ख़ास रिपोर्ट |
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी स्थल के वीडियोग्राफी सर्वे के आदेश को मस्जिद कमिटी ने चुनौती दी है। मस्जिद कमिटी ने याचिका में मांग की है कि मस्जिद के सर्वे को रोका जाये। सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने के वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन मस्जिद कमेटी की याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई करेगी
मुस्लिम पक्ष ने दी ये दलील
स्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ यह दलील दी है कि ज्ञानवापी की वीडियोग्राफी कराने का आदेश 1991 के पूजास्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। मुस्लिम पक्ष की ओर से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act, 1991) के आधार पर अपनी याचिका दायर की है। 1991 में बने इस कानून में प्रावधान था कि 15 अगस्त 1947 को दो धार्मिक स्थल जैसा था वह वैसी ही रहेगा।