पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजनीती में जब मुस्लिम चेहरों के बात की जाती है तो सबसे पहला नाम आजम खान का आता है। आजम खान जैसे चर्चित चेहरों के साथ इमरान मसूद का नाम भी लिया जाता है। यदि बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जा रही हो तो इमरान मसूद का नाम लिस्ट से जुदा नहीं किया जा सकता। इमरान मसूद राजनीति में ज्यादा सफल तो नहीं हैं लेकिन राजनीतिक पहचान बनाने में खुद को सफल जरूर बना लिया है।
कौन है इमरान मसूद
इमरान मसूद का जन्म 1971 में सहारनपुर के कस्बा गंगोह में हुआ। इमरान मसूद का परिवार गंगोह में बड़ा ही प्रभाव रखने वाला परिवार था। इमरान मसूद के दादा काज़ी मसूद के नाम से इनका परिवार पुरे कस्बे में अपनी धाक रखता था। इमरान मसूद का परिवार गंगोह घराना के नाम से जाना जाता है। ये इलाके का इकलौता मुस्लिम राजनीतिक घराना था। इमरान मसूद के चाचा काज़ी रशीद मसूद ने दशकों तक इस परिवार की सियासत को अपने नाम से आगे बढ़ाया।
इमरान मसूद ने 1987 में यूपी बोर्ड के स्कूल एचआरई कॉलेज गंगोह से इंटरमीडिएट पास किया था। इसके बादइमरान ने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इमरान मसूद की शादी साईमा मसूद से हुई। साईमा मसूद एक डायटीशियन हैं। इमरान और साईमा की पांच बेटियां हैं।
इमरान मसूद राजनीतिक सफर
इमरान मसूद को राजनीति के दांव पेंच अपने ही घर में सीखने को मिले। इमरान मसूद के चाचा का लम्बा राजनीतिक अनुभव इमरान के काम आया। इमरान मसूद ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत क्षेत्रीय राजनीति से की। 2006 में इमरान मसूद सहारनपुर नगर पालिका के चेयरमैन चुने गया। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी से टिकट लेने की दावेदारी पेश की लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इमरान मसूद को टिकट न मिलने पर बागी तेवर तीखाते हुए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। परिवार के राजनीतिक रसूख के चलते इमरान मसूद ने सपा के उम्मीदवार को हराकर निर्दलीय विधायक बन गए। इस चुनाव में उन्होंने अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास सभी को करा दिया। हालांकि चुनाव के बाद इमरान फिर से सपा में शामिल हो गए।
2012 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इमरान मसूद ने एक बार फिर अपनी राह सपा से अलग कर ली। 2012 के चुनाव में इमरान मसूद ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर नकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
पारिवारिक कलह के हुए शिकार
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव के चलते इमरान मसूद के चाचा रशीद मसूद सपा में वापस लौट आये। उनके साथ ही इमरान मसूद ने भी घर वापसी कर ली। 2014 के लोकसबाह चुनाव में इमरान मसूद को सपा ने सहरानपुर से टिकट दिया लेकिन उनके चाचा ने अपना रसूख दिखाते हुए इमरान का टिकट कटवा कर अपने बेटे शाजान को दिला दिया। जिसके बाद परिवार में अंतर्कलह हुई नतीजन इमरान मसूद कांग्रेस पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े।
2014 के चुनाव के दौरान इमरान मसूद ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया जिसके चलते वह बहुत अधिक चर्चा में आ गए थे। 2014 के चुनाव में मोदी लहर होने के बाद भी इमरान मसूद ने सहारनपुर से 4 लाख से ज्यादा वोट हासिल किये। हालांकि इमरान मसूद बीजेपी से 65 हजार वोटों से चुनाव हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में इमरान मसूद ने एक बार फिर से नकुड़ सीट से किस्मत आजमाई लेकिन उनके हाथ इस बार भी निराशा ही लगी।
2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सक्रिय हुई प्रियंका गाँधी ने मसूद और उनके चाचा के दूरियां मिटाई। और दोनों परिवार एक हो गए। 2019 के चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हो गया जिसके चालते इमरान मसूद को एक बार फिर हार का सामान करना पड़ा।
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी का हाथ फिर से थाम लिया। 22 के चुनाव में टिकट की आस लेकर सपा में आये इमरान के अरमानों पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पानी फेर दिया। 2022 के चुनाव में सपा ने इमरान मसूद को किसी भी सीट से टिकट नहीं दिया।
रिपोर्ट- पत्रकार आदित्य कुमार