पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दुसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने उभरी समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में खाता भी नहीं खुला। समाजवादी पार्टी वर्तमान में उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है और नेता प्रतिपक्ष के पद पर स्वयं सपा प्रमुख अखिलेश यादव विराजमान हैं। इन सब के होने बाद भी अखिलेश यादव की पार्टी के हाथ विधान परिषद की शून्य सीटें आईं हैं। यहां तक कि अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र रहे आजमगढ़ की विधान परिषद सीट भी नहीं जीत पाए।
समाजवादी पार्टी ने अपनी हार को लेकर अभी तक कुछ नही कहा है। अपनी हार पर चुप्पी तोड़ी तो भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा दिए। सपा ने बीजेपी से जीतने वाले विधान परिषद सदस्यों की जाती को लेकर सवाल उठा दिए। बता दें, विधान परिषद चुनाव जीतने वाले 36 में से 18 सदस्य ठाकुर जाति से आतें है। वहीं सूबे के सीएम भी ठाकुर हैं जिसके चलते सपा ने बीजेपी पर जातिवाद का आरोप लगाया है।
सामाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर एससी, एसटी और ओबीसी पर ध्यान न देने का आरोप लगाया। सपा ने ट्वीट किया, ”दूसरों को जातिवादी बताने वाली भाजपा की ये है सच्चाई! एमएलसी चुनाव की 36 सीटों में से कुल 18 पर मुख्यमंत्री के स्वजातीय जीतकर बने एमएलसी। एससी, एसटी, ओबीसी को दरकिनार कर ये कैसा “सबका साथ, सबका विकास”? सामाजिक न्याय को लोकतंत्र के जरिए मजबूत करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे समाजवादी।”
सपा पर हुआ पलटवार
समाजवादी पार्टी के इस आरोप के बाद ही लोगों ने उनके उम्मीदवारों की जाति गिनना शुरू कर दी। ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लोगों ने सपा द्वारा अधिकांश यादव उम्मीदवार उतारे जाने की भी याद दिलाई। बता दें, एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 36 में से 21 यादव उम्मीदवारों को टिकट दिया था। हालांकि लगातर सवाल उठने के बाद सपा ने दूसरी सूची जाती की जिसमें उम्मीदवारों के सरनेम नहीं बताए गए थे।
बता दें उत्तर प्रदेश में खाली हुई 36 विधान परिषद चुनाव हुआ। जिसमें से 9 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए। 36 में 27 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ। मंगलवार को घोषित हुए 27 सीटों के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने 24 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की जबकि समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुला।
रिपोर्ट- पत्रकार आदित्य कुमार