पूरी दुनिया में इस समय बस केवल कोरोना (corona virus) कहर है. ऐसे में सभी देश अपने नागरिकों को बचाने में लगे हैं. ऐसे में कोरोना की रोकथाम के लिए भारत की तरफ कई देशों ने हाथ फैलाया है. आइये जनाते है ऐसा क्यों हो रहा है और इसके पीछे का कारण क्या है? दरअसल, कई दिनों से मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन की बात सभी सुन रहे हैं. आज वहीँ दवा दुनिया के 13 देशों के लिए ‘संजीवनीबूटी’ की तरह काम आ रही है. ये उन देशो का हाल है जहां मेडिकल की बेहतर सेवायें हैं. उन्ही देशों को १.4 करोड़ हाइड्रोक्लोरोक्वीन टैबलेट आज भारत से भेजी गई है.
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इन देशों को भेजी गई दवा
अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, बहरीन , ब्राजील, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश, Seychelles, Mauritius & Dominican Republic को 14 मिलियन टैबलेट भारत से भेजी गई है.
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अमेरिका में हालत बहुत खराब
अमेरिका में हालात बहुत खराब है. वहां पर अभी सबसे खराब समय है. कुल 489,646 के मिले है. 18,034 लोगों की मौत हो चुकी है. 1,343 लोगों की मौत केवल 11 अप्रैल को ही हो गई है. अबतक का सबसे बड़ा आकंडा है. बस 26,777 लोग केवल ठीक हो पाए हैं. 444,835 अभी भी सक्रिय केस हैं. 10,896 केस बहुत गंभीर हैं. 21,080 नए केस मिले है.
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स्पेन में हालत ठीक नहीं
कुल कोरोना के केस 157,053 हजार हैं. नये केस 3,831 मिले है. 15,970 लोगों की मौत हो चुकी है. 523 लोगों की मौत 11 अप्रैल को हुई है. 55,668 मामले ठीक हुये हैं. हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. यहाँ की सरकार ने भी भारत से हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा मांगा था.
जर्मनी में भी स्थिति विकट हुई
जर्मनी में 120,157 केस मिले हैं. जिनमें से 2,688 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीँ 52,407 लोग ठीक भी हो चुके हैं. लेकिन यहाँ भी स्थिति बेहतर नहीं है. 65,062 केस अभी भी एक्टिव हैं. गंभीर मामले 4,895 इतने हैं. 1,922 केस बस केवल एक दिन में मिल गए है. लगातार हालात यहाँ पर बिगड़ते जा रहे हैं.