इनसाइड स्टोरी : जमात प्रमुख को पर्याप्त इलाज नहीं मिल सका, इसलिए हुई मौत : अब्दुर रहमान

भारत में इन दिनों कोरोना के बाद सबसे अधिक जिसकी बात हो रही है वह है जमाती। उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला अचानक जमातियों की वजह से चर्चा का केंद्र बन गया। लेकिन वहीँ जब मंगलवार की देर रात तबलीगी जमात के प्रमुख नसीम अहमद की मौत हो गई तो नई चर्चा छिड गई. उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है लेकिन परिवार के लोग इसे डॉक्टरों की लापरवाही बात रहे हैं

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अब्दुर रहमान
तबलीगी जमात के प्रमुख नसीम अहमद के बेटे अब्दुर रहमान .

भारत में इन दिनों कोरोना के बाद सबसे अधिक जिसकी बात हो रही है वह है जमाती। उत्तर प्रदेश का जौनपुर जिला अचानक जमातियों की वजह से चर्चा का केंद्र बन गया। लेकिन वहीँ जब मंगलवार की देर रात तबलीगी जमात के प्रमुख नसीम अहमद की मौत हो गई तो नई चर्चा छिड गई. उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है लेकिन परिवार के लोग इसे डॉक्टरों की लापरवाही बात रहे हैं। पोलटॉक के लिए जौनपुर से शैय्यद खादिम अब्बास रिजवी ने जमात प्रमुख के बेटे से फोन पर बातचीत किया है. नसीम के बेटे अब्दुर रहमान ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. वहीं इस मुद्दे पर जौनपुर के जिलाधिकारी डीके सिंह से कई बार वर्जन के लिए फोन किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

इलाज नहीं मिल पाया…

नसीम के बेटे अब्दुर रहमान के मुताबिक उन्हें सीने में दर्द की पहले भी शिकायत रह चुकी थी और उनका इलाज पीजीआई में चल रहा था। पिछले दिनों हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें जब बीएचयू ले जाया गया तो इलाज के बजाय उन्हें वापस जेल भेज दिया गया। अब्दुर रहमान का कहना है कि यदि उन्हें वहां इलाज मिला होता तो ये दिन न देखने को मिलता। उन्होंने बताया कि बीएचयू में स्ट्रेचर से ही उन्हें वापस लौटा दिया गया और ये हिदायत दी गई कि जो दवाएं चल रही हैं वही चलती रहेंगी। उनके बेटे इसके बाद मंगलवार की रात उनकी बतीयब फिर एक बार बिगड़ी और पुलिस उन्हें लेकर जिला अस्पताल आई, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। नसीम अहमद के बेटे अब्दुर रहमान ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की तबीयत खराब होने पर उसे जेल में नहीं अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए। प्रशासन ने अपना कार्य ठीक से नहीं किया।

जौनपुर के तबलीगी जमात के प्रमुख का निधन, अस्थाई जेल में थे बंद

कुछ ऐसे थे जमात प्रमुख

जौनपुर शहर के कोतवाली क्षेत्र के फिरोसेपुर मोहल्ला निवासी नसीम अहमद बाकी जमातियों की तरह ही काफी संपन्न थे। जौनपुर में जमात के चीफ होने के नाते इससे जुड़ा सारा कार्य वही देखते थे। मार्च के पहले सप्ताह में जब जमात के लोग जौनपुर के बड़ी मस्जिद में ठहरे थे तो नसीम अहमद की ही देखरेख में रह रहे थे। लॉकडाउन के बाद सभी बेगमगंज चुंगी के पास एक किराए के मकान में शिफ्ट कर दिए गए। इन जमातियों में 14 बांग्लादेशी भी थे। जब दिल्ली के मरकज का मामला उठा तो सभी जमातियों को वहां छिपे होने के आरोप में प्रशासन ने गिरफ्तार कर प्रसाद इंजीनियरिंग कॉलेज स्थित अस्थायी जेल में डाल दिया था। इन जमातियों पर कई धाराओं में केस भी दर्ज हुआ था। इसको लेकर न सिर्फ जमाती बल्कि चीफ नसीम अहमद काफी सदमे थे। वह कई दशक से जमात से जुड़े थे और तरह की परिस्थितियों से उनका पहली बार सामना हो रहा था।


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