RAJASTHAN की इस लोकसभा और विधानसभा सीट पर 31 साल से मां और बेटे का कब्जा

भारत में राजनीति में वंशवाद में ज्यादा देखी जाती है. चाहे वो कोई भी दल या पार्टी हो. सबकी एक जैसी ही स्थिति दिखती है. कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर एक ही परिवार का दबदबा बना हुआ है. लेकिन मां और बेटे एक सीट पर तीन दशक से सांसद और विधायक बने बैठे हो यह शायद कम ही देखने को मिले। लेकिन राजस्थान में वसुंधराराजे (vashundhra raje ) और उनके बेटे दुष्यंत सिंह (dushynat singh) कई सालों से अपना दबदबा बनाये हुए है.

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वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह .
वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह .

  • झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर 1989 से वसुंधरा और दुष्यंत का राज
  • झालरापाटन से लगातार वसुंधरा राजे चौथीं बार हैं विधायक

संतोष कुमार पांडेय | सम्पादक

भारत की राजनीति में वंशवाद में ज्यादा देखी जाती है. . चाहे वो कोई भी दल या पार्टी हो. सबकी एक जैसी ही स्थिति दिखती है. कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर एक ही परिवार का दबदबा बना हुआ है. लेकिन मां और बेटे एक सीट पर तीन दशक से सांसद और विधायक बने बैठे हो यह शायद कम ही देखने को मिले। लेकिन राजस्थान में वसुंधराराजे (vashundhra raje ) और उनके बेटे दुष्यंत सिंह (dushynat singh) कई सालों से अपना दबदबा बनाये हुए है.

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31 साल से झालावाड़-बारां लोकसभा सीट...

राजस्थान की एक महत्वपूर्ण लोक सभा सीट है झालावाड़ और बारां। यहां पर वसुंधरा राजे सिंधिया और उनके बेटे दुष्यंत का दबदबा है. 31 साल हो गए दूसरा कोई जीत नहीं पाया। 1989 में वसुंधरा ने भाजपा के टिकट पर खाता खोला था. और लगातार पांच बार सांसद रहीं। उसके बाद 2004 में इनके बेटे दुष्यंत सिंह का पदार्पण हुआ. उन्हें भी लगातार चार बार से जीत मिल रही है। . कई दिग्गज नेताओं को यहां से माँ -बेटे ने चुनाव में हरा दिया है.

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झालरापाटन से वसुंधरा का झंडा है बुलंद

राजस्थान में झालरापाटन का नाम लेते ही लोग वसुंधरा राजे की चर्चा करने लगते हैं. यहां से वर्ष 2003 में इन्होने चुनाव जीता और लगातार ये चुनाव जीत रही हैं. चौथी बार बड़े वोटों के अंतराल से इन्होने चुनाव जीता था. इस सीट पर अब इनका कब्ज़ा हो चुका है।

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चुनाव् जीतने की कईं वजहें 

वसुंधरा राजे और दुष्यंत के यहां से चुनाव जीतने की कई वजहें हैं. यह झालावाड़ जिला मध्यप्रदेश के बॉर्डर पर है. चूकिं वसुंधरा मध्यप्रदेश की है इसलिए उन्हें यहां पर अधिक समर्थन मिल जाता है. और उन्होंने कभी अपनी सीट को बदली नहीं है. लोगों के साथ इनका लगाव भी है. लोग कहते है इनके चुनाव जीतने की कई वजहें हैं.


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