उत्तरप्रदेश का प्रतापगढ़ जिला राजघराने के लिए पहचाना जाता है। प्रतापगढ़ जिला सई नदी के किनारे बसा है। प्रतापगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही है लेकिन समय समय पर यहां दूसरी पार्टियां भी मैदान मारती रहीं हैं। प्रतापगढ़ आंवला उत्पादन के लिए बेहद मशहूर है। साथ ही यह सीट दशकों से राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह की पहचान बन चुकी है।
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय जीते। 1962 में हुए चुनाव में जनता दल से अजीत प्रताप सिंह ने कांग्रेस को मात दी थी। 1957 के चुनाव में भी कांग्रेस से मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने जीत हासिल की। 1962 के चुनाव में यह सीट जनसंघ के खाते में चली गयी। 1967 में कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर फिर वापसी की और 67 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर दिनेश सिंह ने चुनाव लड़ा था। दिनेश सिंह ने 1971 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। 1977 में भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की। 1980, 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में लगातार कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की। 1991 के चुनाव में जनता दल के अभय प्रताप सिंह सांसद बने। 1996 के चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की।
1998 में हुए चुनाव में यहां बीजेपी का खाता खुला और राम विलास वेदांती यहां से सांसद बने। इसके अगले साल ही 99 के चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह ने एक बार फिर जीत दर्ज की। 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा का यहां खाता खुला और अक्षय प्रताप सिंह यहां से सांसद बने। 2009 के चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह कांग्रेस के टिकट पर लड़कर तीसरी बार सांसद बनीं। 2014 के चुनाव में बीजेपी और अपना दल के बीच हुए गठबंधन में यह सीट अपना दल को दी गई और अपना दल के कुंवर हरिबंश सिंह चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2019 में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के संगम लाल गुप्ता ने जीत दर्ज की। संगम लाल गुप्ता वर्तमान में प्रतापगढ़ के सांसद हैं।
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर मतदाता
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ सीट पर कुल 16 लाख 92 हज़ार 170 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 06 हज़ार 435 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 85 हज़ार 709 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 26 है।