- गाजीपुर जिले में वर्षों से चल रही इनकी ही राजनीति
- कृष्णानन्द ने अफजाल को हराया और अफजाल ने मनोज सिन्हा को हराया
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले की राजनीति के किस्से बहुत दिलचस्प हैं. यहाँ के नेताओं की चर्चा खूब होती है. सरकार किसी दल की हो लेकिन यहाँ की राजनीति टॉप पर रही. इसी किस्से में गाजीपुर के तीन नेता खूब चर्चा में रहे. पहला नाम कृष्णानन्द राय, दूसरे वर्तमान सांसद अफजाल अंसारी और जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा. आइये जानते तीनों की गाजीपुर वाली राजनीति की पूरी कहानी.
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2002 में मोहम्मदाबाद पर पहली बार खिला कमल
मोहम्मदाबाद विधान सीट पर अफजाल का कब्ज़ा सा हो गया था.अफजाल लगातार 5 बार विधायक बने. मगर छठीं बार अफजाल को हार मिल गई. चार बार 1985 से 1993 तक अफजाल अंसारी सीपीआई (cpi) से विधायक बनते रहे. लेकिन उस समय यूपी में समाजवादी पार्टी का दौर शुरु हुआ था. अफजाल भी साइकिल पर सवार हो गये थे. और 1996 में सपा से विधायक बन गये. सभी दलों को अफजाल के सामने हार मिलती रही. लेकिन वर्ष 2002 में भाजपा के कृष्णानन्द राय भी मैदान में आ गये. और वर्ष 2002 में पहली बार भाजपा को इस सीट पर जीत और पहली बार अफजाल को हार.
कृष्णानन्द राय को भाजपा के टिकट पर 61049 वोट मिले और अफजाल अंसारी को सपा के टिकट पर कुल 53277 वोट मिले. पहली बार अफजाल को हार मिली और अफजाल अंसारी के छोटे भाई मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा सीट से दूसरी बार चुनाव जीत चुके थे. बताया जाता है कि अफजाल की हार लोगों को पच नहीं रही थी. 3 साल बाद विधायक कृष्णानन्द राय की हत्या हो गई. फिर उपचुनाव हुए और कृष्णानन्द राय की पत्नी अलका राय चुनाव जीत गई. और इसी बीच अफजाल अंसारी ने वर्ष 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकेट पर गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव जीत लिया था.
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मनोज सिन्हा और अफजाल की चुनावी अदावत
गाजीपुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे मनोज सिन्हा अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं. वर्ष 1996 और 1999 में मनोज सिन्हा ने गाजीपुर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था. मगर इनके चुनौती बने वर्ष 2004 में अफजाल अंसारी. वर्ष 2004 में मनोज सिन्हा को अफजाल ने चुनाव हरा दिया. लगभग 2 लाख से अधिक वोट से मनोज सिन्हा को चुनाव में हार मिली. वर्ष 2009 में मनोज सिन्हा तीसरे नम्बर पर रहे. और वर्ष 2014 में मनोज को फिर जीत मिली और वर्ष 2019 में मनोज सिन्हा को अफजाल ने फिर चुनाव में हरा दिया. वर्ष 2009 में अफजाल अंसारी बसपाई हो गए थे.
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