
- मायावती ने जब से ब्राह्मणों से बनाई दूरी, होती गई सत्ता से दूर
- हर बार के चुनाव में ब्राह्मणों का काटती गई टिकट
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
मायावती उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं. या यूँ कहिये मायावती उत्तर प्रदेश से ही राष्ट्रीय नेता बन गई थी. बसपा राष्ट्रीय दल हो गया था. यह शौभाग्य यूपी के किसी दल को नहीं मिला. उत्तर प्रदेश में कोई भी चुनाव हो बसपा का झंडा बुलंद रहता था. दौर ऐसा था की लोग बसपा ज्वाइन करने को आतुर रहते थे. मगर अब दौर बदल गया है. और मायावती भी अब उसी दौर को याद करती नजर आ रही है. उन्हें भी अब शायद पछतावा है. मगर, शायद अब बाजी इनके हाथ से निकल चुकी है. जानिए मायावती की ब्राह्मण प्रेम की पूरी कहानी.
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मायावती ने कहा है कि जब प्रदेश में बसपा की सरकार आएगी तो ब्राह्मणों के देवता परशुराम की मूर्ति बनवाएंगी. उन्होंने इस दौरान समाजवादी पार्टी की मंशा पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी को भगवान परशुराम की मूर्ति लगवानी थी तो अपनी सरकार में लगवाते. मगर क्या मायावती की लड़ाई बस सपा से है या बीजेपी से दोस्ती बढने वाली है. क्योंकि ये बयान इसी और इंगित कर रहे हैं. कभी बसपा में 50 से अधिक ब्राह्मण विधायक हुआ करते थे. जो संख्या अब भाजपा में हैं. और बीएसपी के एक या दो ब्राह्मण विधायक बचे है.
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वर्ष 1995, 1997, 2002 & 2007 में मायावती यूपी की मुख्यमंत्री रही. अब बसपा की स्थिति कमजोर हो चुकी है. एक समय था जब मायावती ने सवर्णों के खिलाफ बयानबाजी करती थी. ‘ तिलक, तराजू और तलवार इनको मारों जूते चार ‘ बाद में ‘हाथी नही ये गणेश है ‘ इस तरह की बातें मायावती करती थीं. यूपी में कुल 403 विधान सभा सीट है. वर्तमान में भाजपा में 55 ब्राह्मण विधायक हैं. वर्ष 2007 में बसपा ने ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा 86 टिकट दिए थे. 2012 में 69 और वर्ष 2017 में 28 ब्राह्मणों को टिकेट दिये गये. और यही से बसपा को बड़ा नुकसान होता गया.
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वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को दूर किया और 2019 में भी यही हाल था. लगातार ब्राह्मणों का टिकट कटता गया और अब मायावती का ब्राह्मण प्रेम जगता जा रहा है. जब बसपा के दिग्गज नेता नेता बृजेश पाठक ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बसपा ने ब्राह्मण चेहरों को पूछा ही नहीं, जिसका नतीजा हुआ कि पार्टी एक भी सीट नहीं निकाल सकी। इस बार सिर्फ 28 ब्राह्मणों को टिकट दिए गए हैं। उनमें भी 10 ऐसे हैं, जो हारे हुए हैं।
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बसपा के दिग्गज ब्राह्मण चेहरे हुए दूर
राकेशधर त्रिपाठी ,रंगनाथ मिश्रा, रविन्द्र त्रिपाठी, बृजेश पाठक, उमेश पाण्डेय, रामवीर उपाध्याय, सीमा उपाध्याय, सुभाष पाण्डेय , हरिशंकर तिवारी को चुनाव हराने वाले राजेश त्रिपाठी भी भाजपाई हो चुके है. विनय शंकर, नकुल दुबे, रितेश पाण्डेय और सतीश मिश्रा अभी भी बसपा हैं.