- बलिया के खानपान को छोड़ दिया गया है
- गांव में रहने वाले लोगों की बातचीत पर है सवाल
संतोष कुमार पांडेय | लखनऊ
पंचायत-2 वेबसीरीज (panchayat season 2) बेहद बकवास है। इसको देखने के बाद कोई भी पंचायत से कनेक्शन नहीं महसूस होता। वस्तुस्तिथि में बहुत कुछ अंतर दिखाया गया है। जिसपर लोग सवाल भी कर रहे हैं। इसमें जितने भी पात्र हैं वो सभी ने अपनी बेस्ट कला का प्रदर्शन किया है. आइये जानते हैं क्या है इसमें बड़ी भूल जिसे आपको भी जानना चाहिए। पंचायत में दरअसल, जो पंचायती होती है उसे भी नहीं दिखाया गया है. इसी तरह प्रधान और इनके पति के आसपास जो स्टोरी घूम रही है उसमें रिंकी की भी कहानी बहुत अजीब सी है. इसी तरह की बातों पर लोग सवाल कर रहे हैं। ये है असल कहानी |
पंचायत का नाम : फुलेरा
जिला : बलिया
पंचायत सचिव : अभिषेक त्रिपाठी
प्रधान : मंजू देवी दुबे
पति : दुबे जी
उप प्रधान : प्रह्लाद पांडेय
सहायक सचिव : शुक्ला
और जो प्रताड़ित हैं उनका नाम है विनोद कुमार
भूषण की कोई जाति नहीं बताई गई है।
बलिया में लिट्टी चोखा और सत्तू का प्रचलन है। लेकिन पूरी सीरीज में दारू और चाय दिखाई जाती है। जिस गांव को ओडीएफ किया गया है उसी गांव की प्रधान मंजू देवी दुबे चूल्हे पर खाना पकाती हुई दिखती है। और यह सभी को पता है कि बलिया से ही पीएम मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत किये थे। और उसी जिले के ओडीएफ गांव में गैस प्रधान गैस की जगह चूल्हा जला रही है।
पूरी पंचायत में सबकुछ अपर कास्ट के पास गई। और बाकी को परेशान किया जा रहा है। और सभी ये त्रिपाठी, दुबे , शुक्ला और पाण्डेय मिलकर समय समय पर दारू पीने में लगे रहते है। सिगरेट वगैरह ? क्या यह सम्भव है कि बलिया की पँचायत में खुलेआम दारू पीने की अनुमति हैं।दारू की जगह अलग ताड़ी या सत्तू को दिखाया जाता तो दिमाग वहां तक जाता। लेकिन ये हालात है कि पूरी कहानी ही फिल्मी हो गई। कुल मिलाकर यह पँचायत 2 वेब सीरीज मुझे बेहद को घटिया और बकवास लगी हैं।