- देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरु के बारे में कुछ रोचक जानकारी
- इलाहाबाद में हुआ था जन्म, इलाहाबाद के फूलपुर से लड़ते थे चुनाव
मीमांसा चतुर्वेदी | प्रयागराज
जवाहरलाल नेहरू का पूरा नाम जवाहरलाल मोतीलाल (pandit jawaharlal nehru ) हैं । जिनका जन्म 14 November 1886 में इलाहाबाद में हुआ था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1912 में उनके भारत लौटने के बाद राजनीति से जुड़ने के बाद शुरू हुई।
1916 में महात्मा गांधी से हुई थी मुलाकात
नेहरू ने बांकीपुर सम्मेलन में सन् 1912 के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। सन 1916 में जहाँ उनकी मुलाक़ात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से हुई. जिनसे वे प्रेरित हुऐ। नेहरू ने सन् 1919 में इलाहाबाद में होने वाले रूललीग के सचिव बनाए गए। प्रतापगढ़ में होने वाले किसान मार्च का आयोजन भी 1920 में नेहरू ने ही करवाया था। सहयोग आन्दोलन के दौरान 1920 से 1922 में नेहरू को दो बार जेल भी जाना पड़ा।
सन् 1923 में पंडित नेहरू (pandit jawaharlal nehru ) ने आखिरकार अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव नियुक्त किए गए। नेहरू ने एक भारतीय राष्ट्रीय आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में बेल्जियम के ब्रसेल्स में दीन देशों के चलने वाले सम्मेलन में भाग भी लिया। सन् 1926 में मद्रास कांग्रेस को खुद के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू ने अहम भूमिका निभाई थी। सन् 1927 ने क्रांति कि दसवें वर्षगांठ समारोह जो की मॉस्को में अक्टूबर माह में चल रही थी उसमें भी भाग लिया। लखनऊ में सन् 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस के नेतृत्व करने से उनके उपर लाठी चार्ज भी हुआ। भारतीय समवैधिक सुधार की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर भी किया था जिसका नाम मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया। सन् 1928 में ही नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना भी की जिसके वे महासचिव भी बने.
भारत के पूर्ण स्वतत्रंता प्राप्त करने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन 1929 में लाहौर सन् के अध्यक्ष के रूप में चुने गए। सन् 1930 से 1935 में चलने वाले कांग्रेस के आंदोलनों और नमक सत्याग्रह के चलते कई बार जेल भी जाना पड़ा। पंडित नेहरू ने सन् 1935 के 14 फरवरी को ‘अपनी आत्मकथा’ का लेखन अल्मोड़ा जेल में ही पूरा किया। 31 अक्टूबर, 1940 को पंडित नेहरू ने जो व्यक्तिगत सत्याग्रह किया जो भारत के युद्ध में मजबूरी करने के विरोध में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया गया। सन् 1941 में भी नेहरू जी को अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। सन् 1942, 7 अगस्त में भारत छोड़ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया जो कि मुंबई में हुई अनिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में तय किया गया।
8 अगस्त, 1942 को नेहरू (pandit jawaharlal nehru ) को अहमदनगर में अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार के जेल में डाला गया.उन्हें सबसे लंबे समय के लिए जेल में रहना पड़ा। नेहरू के समय में कम से कम 9 बार जेल जाना पड़ा। अपनी रिहाई के बाद सन् 1945, जनवरी में उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेला और आईएनए के व्यक्तियों और अधिकारियों को कानूनी बचाव भी किया। आख़िरी बार 6 जुलाई, 1946 को चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और सन् 1951 से लेकर 1954 तक लगातार तीन बार इस पद के लिए नियुक्त किए गए।