- लोकसभा और राज्यसभा में किया गया लागू
- जयचंद, विनाश पुरुष और खालिस्तानी करार देना भी असंसदीय
संतोष कुमार पांडेय | दिल्ली
संसद (parliament ) की कार्यवाही के दौरान अब कई शब्दों पर रोक लगा दिया गया है। हर बार कार्यवाही के दौरान इन शब्दों का जिक्र होता रहा है. आइये जानते जानते है क्या अपडेट है. अब अगर संसद की कार्यवाही के दौरान कोई सांसद कहता है कि सरकार ‘तानाशाह’ (tanashaah) हो गई है, अथवा विपक्ष ‘तानाशाही’ कर रही है. तो संसद के नए नियमों के अनुसार इस संबोधन को असंसदीय माना जाएगा. और इस संबोधन को संसद की कार्यवाही से हटा दिया जाएगा.
यही नहीं संसद में अब किसी को जयचंद कहना, विनाश पुरुष शब्द का प्रयोग करना, किसी को खालिस्तानी करार देना, यहां तक कि जुमलाजीवी शब्द से किसी को संबोधित करना भी असंसदीय (parliament monsoon session 2022) माना जाएगा. लोकसभा और राज्यसभा में 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में ये नियम लागू हो जाएगा.
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक नये बुकलेट में कहा गया है कि ‘जुमलाजीवी’, ‘बाल बुद्धि’, ‘कोविड स्प्रेडर’ और ‘स्नूपगेट’ जैसे शब्दों को लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माना जाएगा. लोकसभा सचिवालय द्वारा जिन शब्दों को असंसदीय बताया गया है उनमें कुछ बेहद सामान्य शब्द हैं और बोलचाल के दौरान धडल्ले से प्रयोग किए जाते हैं. इनमें अंग्रेजी के शब्द ‘ashamed’, ‘abused, ‘betrayed’, ‘corrupt’, ‘drama’, ‘hypocrisy’ और ‘incompetent’ शामिल हैं. यानी कि संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.
सोशल मीडियापर इसका मिलाजुला असर भी देखा जा है। इन शब्दों का प्रचलन सा हो गया था. अब इनकी चर्चा पर रोक लग गई है. ब्लडशेड, ब्लडी, अशेम्ड, चीटेड, चमचा, चमचागीरी, चेला, चाइल्डिशनेस, कावर्ड, क्रिमिनल, क्रोकोडाइल टीयर्स, डिस्ग्रेस, डंकी, आइवाश, फज, हूलीगानिज्म, मिसलेड, लाई, अनट्रू, गद्दार, गिरगिट, गून्स, घड़ियाली आंसू, अपमान, असत्य, अहंकार, काला दिन, काला बाजारी, खरीद-फरोख्त, दंगा, दलाल, दादागीरी, बेचारा, बाबकट, लालीपाप, विश्वासघात, संवेदनहीन, फुलिश, पिट्ठू, सेक्सुअल हरेसमेंट, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर।