संतोष कुमार पाण्डेय, सम्पादक की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता हैं. जिनकी वर्षों से राजनीति चल रही है. कई दल ऐसे है जिनके नेता अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके हैं. लेकिन उन्हें पिछले चुनावों में लगातार हार मिल रही है. सपा, बसपा और कांग्रेस यूपी में लगातार कमजोर होती चली जा रही है. वर्ष 2007 में 200 से अधिक विधानसभा की सीट जीतने वाली बसपा (BSP) 2012 में 90 और 2017 में 19 सीट पर आ गई. सपा (SP) 2012 में 250 से अधिक सीट जीत लिया था लेकिन 2017 में 50 की नीचे सिमट गई. और कांग्रेस (CONGRESS) अब दहाई अंक के नीचे है. ऐसे में ये सभी दल दुबारा आने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन भाजपा अब ऐसा नहीं होना देना चाह रही है. कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया और बसपा ने सपा से नतीजा यह रहा कि सफलता किसी को नहीं मिली. सभी दल अब अपने अपने भरोसे चुनाव् मैदान में उतरना चाहेंगे. जब से नरेंद्र मोदी केंद्र में आये हैं तब से भाजपा ने नीतिगत तरीके से हमेशा अपना विपक्षी दल कांग्रेस को ही बनाना चाहती है. और इसका फायदा भी भाजपा को हमेशा मिल रहा है. तो लगता है कि यूपी में भी भाजपा इसी राश्ते पर है. कांग्रेस को भाजपा मुख्य भूमिका में लाने का प्रयास कर रही है. जिसे इन दो बातों से समझ सकते हैं.
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पहला मास्टर स्ट्रोक : उम्भा की घटना में प्रियंका उतरी थीं
कुछ महीने पहले सोनभद्र के उम्भा में बवाल हुआ था. जिसमें यूपी सरकार की खूब किरकिरी हुई थी. लेकिन उस घटना में प्रियंका ने सरकार पर जोरदार दबाव बनाया था. यूपी सरकार ने उस मामले में बड़ा ऐलान किया था. जिसमें प्रियंका की जीत बताई जा रही थी. उस घटना में न बसपा को और न ही सपा को कोई राजनीतिक माइलेज मिला था. और प्रिंयका की चर्चा होने लगी थी.
दूसरा मास्टर स्ट्रोक : मजदूरों का मामला
पिछले कई दिनों से मजदूर घर वापस जाने के लिए तैयार हैं. इसके लिए कांग्रेस के दोनों नेता राहुल और प्रियंका सडक पर उतर चुके हैं. दिल्ली में राहुल गाँधी और यूपी में प्रियंका गाँधी आर पार के मूड में थी. उन्होंने यूपी के सीएम आदित्यनाथ को 16 मई को एक पत्र लिखा था. ‘ आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपसे निवेदन कर रही हूँ, ये राजनीति का वक्त नहीं है। हमारी बसें बॉर्डर पर खड़ी हैं। हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई बहन बिना खाये पिये, पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं। हमें इनकी मदद करने दीजिए। हमारी बसों को परमीशन दीजिए।’
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अब खबर है कि यूपी सरकार ने प्रियंका गाँधी के इस प्रस्ताव को मान लिया है. और इसे भी बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.
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‘ प्रियंका गाँधी जी कहती हैं कि उनके पास 1000 बसें हैं। यह और बात है कि अब तक इन बसों की सूची तक उपलब्ध नहीं कराई गई, न ही हमारे साथियों की। बसों और हमारे साथियों की सूची उपलब्ध करा दी जाए, जिससे उनके कार्य ट्विटर नहीं धरातल पर दिखें।’ देशभर में जितनी भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही है उनमें से आधी से ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश ही आईं है। अगर प्रियंका वाड्रा जी को हमारी इतनी ही चिंता है तो वो हमारे बाकी साथियों को भी ट्रेनों से ही सुरक्षित भेजने का इंतजाम कांग्रेस शासित राज्यों से क्यों नहीं करा रहीं?’
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ये दिया आदेश
उत्तर प्रदेश राज्य सडक परिवहन निगम द्वारा चलाई जा रही बसों को नियमित रूप से सेनिटाइज किया जाए। बस में सेनिटाइजर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। परिवहन निगम यह भी सुनिश्चित करे कि प्रत्येक प्राइवेट बस में दो ड्राइवर हों। आर.टी.ओ. व ए.आर.टी.ओ. सतत निरीक्षण करते हुए यह सुनिश्चित करें कि दुर्घटना न होने पाए.
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