Raja Bhaiya: राजा भैया और मायावती में इसलिए हुई थी दुश्मनी, राजा आगे बढ़े और मायावती हुईं पीछे ?

राजा भैया भाजपा और सपा की सरकार में रहे हैं मंत्री

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raja bhaiya pratapgarh

  • राजा भैया के दादा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं
  • राजा भैया भाजपा और सपा की सरकार में रहे हैं मंत्री

पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ

रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) यानी राजा भैया (Raja Bhaiya) उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजा भैया की पहचान एक बाहुबली नेता के रूप में है। कभी उत्तर प्रदेश में राजा भैया की ऐसी छवि है कि प्रतापगढ़ के भदरी स्टेट के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राज भैया के लिए एक लाइन कही जाती थी। कहा जाता है कि जहां से कुंडा की सीमा शुरू होती है वहां से राज्य सरकार की सीमाएं समाप्त हो जाती हैं। राजा भैया इसे जनता का प्यार कहते हैं जबकि विरोधी उनका खौफ करार देते हैं। राजा भैया लगातर सात बार प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से विधायक चुने हए हैं। राजा भैया ने कभी किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि अब राजा भैया ने स्वयं की जनता दल लोकतांत्रिक पार्टी बना ली है।

कौन हैं राजा भैया ?

रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को प्रतापगढ़ के भदरी रियासत में हुआ था। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह और माता मंजुल राजे है। रघुराज प्रताप सिंह के दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमांचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं। राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पादाधिकारी रह चुके हैं। वहीं राजा भैया की माता मंजुल राजे भी एक शाही परिवार से आती हैं।  रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का विवाह बस्ती रियासत की राजकुमारी भान्वी देवी से हुआ। राजा भैया के दो पुत्र शिवराज एंव ब्रृजराज व दो पुत्रियां राधवी और ब्रृजेश्वरी है।

राजा भैया का कुछ ऐसा रहा राजनीतिक सफर 

राजा भैया अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जिन्होंने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया। राजा भैया की चुनावी यात्रा 1993 से शुरू हुई जब राजा भैया पहली बार प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता और विधायक चुने गए। राजा भैया ने अपना पहला चुनाव 26 साल की उम्र में लड़ा था। राजा भैया ने लगातार 1996, 2002, 2007, 2012,2017 और 2022 में प्रतापगढ़ की कुंडा सीट जीत का सिलसिला जारी रखा। राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और सपा की मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री बने। लगातार निर्दलीय चुनाव जीतने वाले राजा भैया ने 2018 में जनता दल लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया। 2022 का चुनाव राजा भैया ने अपनी पार्टी से लड़ा और फिर जीत हासिल की।

मायावती ने भेजा था जेल

2022 में जब भाजपा समर्थित बसपा की सरकार बनी लेकिन गठबंधन लगातार हिचकोले ले रहा था। ऐसे में बीजेपी ने  गठबंधन मजबूत करने के लिए मायावती को प्रस्ताव भेजा की रघुराज प्रताप सिंह को मंत्री बना दिया जाये लेकिन मायावती ने साफ़ मना कर दिया। इतना ही नहीं 2002 में ही मायावती ने राजा भैया आतंक निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार करवा कर जेल में भी डलवा दिया। इसके बाद मायावती ने राजा भैया की हवेली में पुलिस का छापा  डलवा दिया। हवेली से काफी हथियार भी बरामद हुए थे। राजा भैया पर पोटा लगाया गया था। उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी जैसे मामलों में गिरफ्तार कर लिया गया। राजा भैया अगले 10 महीनों तक अलग-अलग जेलों में बंद रहे। मायावती की सरकार 2003 में गिर गई। मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। राजा भैया जेल से रिहा हुए। मुलायम सिंह की सरकार में राजा भैया मंत्री भी बने।

लगातार 7 वीं बार बने विधायक 

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 2022 के विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही वह लगातार सातवीं बार विधायक बन गए। राजा भैया इससे पहले लगातार 1996, 2002, 2007, 2012,2017 तक विधायक चुनते आये हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में प्रतापगढ़ की कुंडा सीट पर राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव समाजवादी पार्टी से राजा भैया को टक्कर देते दिखाई दिए हालांकि चुनाव जीतने में कामयाब न हो सके। 2022 विधानसभा चुनाव में  राजा भैया ने गुलशन यादव को 30 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया।


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