
- अशोक गहलोत के साथ कई दिग्गज, सचिन ने भी बनाई रणनीति
- कई बार हो चुका है तनाव, इसबार आर-पार
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
राजस्थान में जून 2020 से सरकार को लेकर थोड़ा तनातनी बनी हुई है. क्योंकि, सचिन पायलट (sachin pilot) और अशोक गहलोत (ashok gehlot) में आपसी मनमुटाव है. यह कोई नया नहीं है. दरअसल, अशोक गहलोत (sachin pilot) सचिन को सीएम नहीं बनने देना चाहते है और सचिन इस बात को लेकर अड़े हैं. यह 2018 से चल रहा है। मगर अभी नया विवाद यह है की सचिन पायलट को अध्यक्ष पद से अशोक गहलोत हटाना चाह रहे हैं. क्योंकि, सचिन पायलट लगभग 7 साल से प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं. उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 21 जनवरी, 2014 को राजस्थान में भेजा था। उस समय 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के मात्र 20 विधायक निर्वाचित हुए थे।
आखिर भाजपा की सरकार में ही क्यों होते है बड़े एनकाउंटर ?
नया समीकरण क्या है ?
अशोक गहलोत सचिन की जगह पर किसी नए को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं और दो नए उपमुख्यमंत्री। इसी को लेकर विवाद चल रहा है. यह बात सत्ता के गलियारे में तेज हो गई है. सचिन का गुट चाहता है कि सचिन अध्यक्ष बने रहे और उप मुख्यमंत्री भी. लेकिन अशोक गहलोत का गुट चाहता है कि सचिन से एक पद लिया जाय. इसी पर तनातनी की बात है.
इसलिए बनी रहेगी कांग्रेस की सरकार
सोनिया गाँधी के पास सचिन पायलट का गुट गया है और वहीँ पर अशोक का भी गुट जाएगा। यहाँ कांग्रेस के केन्द्रीय नेता इस मामले में शामिल हैं. यहाँ मध्यप्रदेश जैसी स्थिति नहीं बन पाएगी। सोनिया गाँधी दोनों नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मिल रही है. इसलिए स्थिति यही दिख रही है कि सीएम चाहे जो रहे लेकिन सरकार कांग्रेस की स्थिर बनी रहेगी।
आखिर कौन गिराना चाहता है Ashok Geglot की सरकार ?
यह है अंकीय खेल
कुल 200 विधान सभा सीट है. जिनमें से 107 कांग्रेस के पास और 75 एनडीए के पास है. और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी अशोक गहलोत के पास है. इसलिए सरकार पास बहुमत से अधिक सीट है. यहाँ लड़ाई कुर्सी को लेकर है. 45 विधायक अगर कांग्रेस से भाजपा में जायेंगे तो कुछ हो सकता है. यह फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है.