राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) का 3 मई को जन्मदिन है. 69 साल के अशोक गहलोत का राजनीति में बड़ी पारी हो चुकी है. लगभग 40 साल से लगातार विधायक, सांसद, मंत्री और मुख्यमंत्री बनते चले आ रहे हैं. ये सामान्य परिवार से आते हैं. संघर्ष और काम ही इनकी पहचान है. राजस्थान में इनकी लोकप्रियता लगातार बनी हुई है. 30 साल की उम्र में ही ये कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बन गए थे. 5 बार लगातार सांसद और 5 बार विधायक रहे. राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री और कई बार केन्द्रीय मंत्री रहे. कोरोना (corona virus update) के संकट काल में राजस्थान में बेहतर काम कर रहे हैं. इन्हें राजनीति का असली ‘जादूगर’ भी कहा जाता है.
काम के दम पर मिली लोकप्रियता
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ बताते हैं कि जिसका कोई राजनीतिक संरक्षक नहीं है. कोई बड़ा राजनीतिक परिवार का नाम नहीं है. उनका चरित्र और किरदार ही ऐसा है कि जो इन्हें यहाँ तक लाया है. उनका नाम है अशोक गहलोत. ये कोई बड़े समाज से नहीं आते हैं लेकिन अपनी एक बड़ी पहचान बना ली. यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है. जिस समाज के पास कोई तमगा नहीं है सभी के नेता अशोक गहलोत हैं. वो सभी उन्हें अपना नेता मानते हैं. बताया जाता है कि पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान 1971 में बांग्लादेश से कुछ- लोग राजस्थान में आये थे. जिनकी सेवा में अशोक गहलोत लगे थे उस दौरान भारत की पीएम इंदिरा गाँधी ने उन्हें सेवा करते हुए देखा था और अशोक गहलोत को वहीं से बड़ा अवसर मिला. अशोक गहलोत जब पहली बार सीएम बने थे तो इन्होने गरीब परिवार के साथ दिपावली मनाई थी. जब ये राजनीति में आये थे तो उस दौरान इनके सामने बड़ी राजनीतिक चुनौती थी. एक बार अशोक गहलोत ने अपनी टाइटल भी बदली थी. इन्होने अशोक गहलोत की जगह अशोक भाई कर लिया था. हालांकि, यह बहुत लम्बा नहीं चला. और आज अशोक गहलोत है.
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बेहतर नेता हैं गहलोत
राजस्थान की वरिष्ठ पत्रकार डॉ.क्षिप्रा माथुर बतातीं हैं कि अशोक गहलोत बेहतर काम कर रहे है. प्रदेश के मुख्यमंत्री को जन्मदिन और अंतरराष्ट्रीय प्रेस फ्रीडम डे की बधाई। उम्मीद है राजस्थान अपनी स्वास्थ्य उपचार की क्षमताओं को बेहतर करेगा और नागरिकों में ज़िम्मेदारी के भाव के संचार से प्रशासकों से वैज्ञानिक सोच, समझ और तरीकों से आगे बढ़ने का हौसला दे पाएगा। शीर्ष नेतृत्व ने विद्यार्थियों और मज़दूरों की मुश्किलों को कम करने का प्रयास किया है। साधुवाद और अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाएं।
जन नेता हैं अशोक गहलोत
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार विनोद पाठक का मानना है कि अशोक गहलोत जन नेता है. छात्र राजनीति से ही इनकी पहचान बनी हुई है. राजस्थान में अच्छा कार्य कर रहे हैं. इनकी पार्टी में पकड़ भी है. जनता से सीधा इनका संवाद बना रहता है. कांग्रेस के लोकप्रिय नेता है. राजस्थान के लिए इन्होंने बड़े काम किये हैं.
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मानवीय संवेदना इनके अंदर भरी है
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार विमलेश शर्मा बताते हैं कि अशोक गहलोत परिपक्कव नेता है. इनके अंदर मानवीय संवेदनायें भरी हैं. चाहे सत्ता में रहे या विपक्ष में रहे. सबके चहेते बने रहे. किसी से कोई द्वेष नहीं है. राजनीतिक तौर पर इनका किसी से विरोध नहीं है. सांसद के रूप में भी इन्होने बेहतर काम किया है.
संगठन में जिम्मेदारी
वर्ष 1974 से 79 तक एनएसयूआई के राजस्थान में प्रेसिडेंट. 1979–82 अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी जोधपुर रहे. 1982 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने. 1985–89 राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने. और कई बार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बने.
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साशन में भूमिका
1982–83 तक केन्द्रीय उप पर्यटन मंत्री, 1983–84 केन्द्रीय उप नागरिक उड्डयन मंत्री,
1984–84 केन्द्रीय उप खेल मंत्री, 1984–85 केन्द्रीय उप नागरिक उड्डयन मंत्री,
1989–89 राजस्थान सरकार में गृह मंत्री बने, 1991–93 केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्वतन्त्र प्रभार, )
1998–2003 तक मुख्यमंत्री राजस्थान, 2008–13 मुख्यमंत्री राजस्थान और अब फिर तीसरी बार 2018 में मुख्यमंत्री बने.
एक नजर में अशोक गहलोत
राजस्थान के जोधपुर में अशोक गहलोत का जन्म 3 May 1951 में हुआ था. इनके पिता बाबू लक्ष्मण गहलोत मशहूर जादूगर रहे हैं. विज्ञान और विधि में स्नातक और अर्थशास्त्र में परास्नातक किया है. अशोक गहलोत को एक बेटा और एक बेटी है. वैभव गहलोत ने जोधपुर से लोकसभा का 2019 में चुनाव लड़ा था और इन्हें हार मिली थी.