- यूपी में वर्ष 1995 में बसपा-सपा का हुआ था विवाद, गिर गई थी सपा की सरकार
- मोती लाल वोरा थे यूपी के राज्यपाल, कलराज मिश्रा भाजपा अध्यक्ष
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
कहते हैं कि समय लौट कर आता है. चाहे तुरंत या कुछ वर्षों बाद. यही कहावत समय-समय पर राजनीति में भी सटीक बैठती दिखती है. अब नया मामला राजस्थान का है. पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (cm ashok gehlot) की कुर्सी संकट में है. लेकिन इसी बीच एक नाम बहुत चर्चा में है. जो इस समय राजस्थान के राज्यपाल है. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कलराज मिश्रा की.
कलराज मिश्रा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के हैं. ये भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश में चार बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. मंत्री, विधायक, राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सदस्य, केन्द्रीय मंत्री और अब राज्यपाल हैं. लेकिन इस बार कलराज से ज्यादा राजभवन का परिसर चर्चा में है. क्योंकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों और मंत्रियों के साथ राजभवन कूच किया था. वहां पर धरना और प्रदर्शन दिया गया. बस यही से बहस छिड़ गई. राजभवन भी शख्त हो गया. और कलराज मिश्रा चर्चा में बन गये.
25 साल पहले की वो बात …
उत्तर प्रदेश में वर्ष 1995 में कलराज मिश्र ने राजभवन में धरना दिया. तब कलराज मिश्रा उस समय भाजपा के प्रदेश हुआ करते थे. उस समय उत्तर प्रदेश में मोतीलाल वोरा राज्यपाल थे. सपा और बसपा की सरकार थी. जून का महीना था और गठबंधन की सरकार में तनाव बढ़ चुका था. और गठबंधन की रस्सी टूटने वाली थी. मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
इस बीच बसपा ने हंगामा खडा कर दिया. सपा की सरकार खतरे में आ गई. इसबीच 2 जून 1995 को लखनऊ में राजभवन एक्टिव हो गया. दूसरी ओर कलराज मिश्रा ने भाजपा विधायकों के साथ राजभवन में धरना दिया. और राजभवन सकते में आ गया. एक वर्ष 181 दिनों के बाद मुलायम सिंह की सरकार गिर गई. ठीक अगले ही दिन मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. यह सरकार मात्र 137 दिन ही चल सकी.
अब सोशल मीडिया पर 2 जून 1995 की कलराज मिश्रा की राजभवन वाली फोटो खूब शेयर की जा रही है. जिसमें वो विक्ट्री का निशान दिखा रहे है.