- क्या मामा पहले की तरह ही पावरफुल है या कमजोर हुए हैं
- 28 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. इसमें से 12 सिंधिया के समर्थक हैं
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
शिवराज सिंह (shivraaj singh chouhan) चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री है. और इस बार इन्हें ताजपोशी लेने में बड़ी मुश्किल का सामना करना पडा. कुछ सीटें कम हुई और सरकार कमलनाथ की बन गई. वरना मामा सपने में भी कभी नहीं सोचे होंगे की उन्हें सीएम की कुर्सी से कोई हटा पायेगा. खैर, अब वो सीएम हैं. लेकिन बड़ी बात और सवाल यह है कि क्या मामा पहले की तरह ही पावरफुल है या कमजोर हुए हैं. पढ़िए पोलटॉक की ये ख़ास रिपोर्ट |
विन्ध्य में राजेन्द्र शुक्ला को कौन नहीं जानता. शिवराज सरकार में इनकी तूती बोलती रही है. ब्राहमण चेहरा हैं. रीवा से कई बार से विधायक हैं. विवादों से भी दूर रहे. ऊर्जा मंत्री रहे. शिवराज की कैबिनेट में इनका नाम हमेशा फ़ाइनल माना जा रहा है. लेकिन इस बार इन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली. यह चर्चा का विषय बना हुआ है. राजेंद्र के जानने वाले बता रहे हैं कि इस बार लगता है कि मामा की चल कम रही है. शायद केंद्र से ही नाम फाइनल हुआ है. लेकिन विन्ध्य में राजेंद्र शुक्ला को इग्नोर करना भाजपा को भारी पड़ सकता है. क्योंकि अच्छी पकड है.
संजय पाठक कांग्रेस और भाजपा दोनों में ख़ास रहे.शिवराज के सबसे करीबियों में इनकी गिनती होती है. लेकिन इस बार इन्हें भी छोड़ दिया गया है. बताया जाता है कि कमलनाथ की सरकार गिराने में इनका भी हाथ रहा है. लेकिन इनका यह भी मामला सामने आया था कि ये दोनों तरफ आपना राजनीतिक गणित सेट कर रहे थे . लेकिन अब दोनों जगह से फेल हुए दिख रहे हैं.
शिवराज के दोनों ख़ास मंत्रिमंडल में अब नहीं है. मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का आज मंत्रिमंडल विस्तार हुआ. मध्य प्रदेश की राज्यपाल (अतिरिक्त प्रभार) आनंदी बेन पटेल ने राजभवन में कुल 28 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई. इसमें से 12 सिंधिया के समर्थक हैं. तो अब यही चर्चा चल रही है कि क्या यह मामा का मंत्रिमंडल है या सिंधिया का. सवाल खड़े हो रहे हैं. लेकिन जवाब एक ही है वो यह कि संजय पाठक और राजेंद्र शुक्ला को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.