- 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे पूजन
- 4 अगस्त से शुरू हो रहे पंचक पर विद्वान अलग-अलग बात बता रहे
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर (ram mandir) भूमि पूजन होना है. इसको लेकर 5 अगस्त की तिथि निर्धारित है. यह शुभकार्य देश के पीएम नरेंद्र मोदी (narendra modi) के हाथों होना है. लेकिन कई सारे सवाल उठने शुरू हो गए हैं. कुछ विद्वानों का कहना है कि पंचक लग जायेगा तो ऐसे में इस कार्य को नहीं करना चाहिए. कुछ का कहना है कि सब ठीक है. लेकिन वहीँ कुछ विद्वानों का कहना है कि भूमि पूजन तो 9 नवंबर 1989 को ही हो गया था. यह तो बस सांकेतिक पूजन है. इस मसले पर पोलटॉक के सम्पादक संतोष कुमार पाण्डेय ने कई विद्वानों से बातचीत की है. क्योंकि पूरी तस्वीर साफ़ होनी चाहिए ? एक जानकारी के अनुसार काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार भूमि पूजन तीन चरणों में संपन्न होगा. भूमिपूजन के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से 11 वैदिक ब्राह्मणों को अयोध्या बुलाया गया है.
इस मुद्दे पर पूर्व सांसद और विश्व हन्दू परिषद के नेता रामविलास वेदांती ने पोलटॉक से बातचीत में बताया कि ऋषिकेश पंचाग के अनुसार कोई दिक्कत नहीं है. भूमि पूजन जो हो रहा है वो तिथि के अनुसार ठीक है. हर व्यक्ति के नाम पर कब किस क्षण में कैसा मुहूर्त आता है इसका बहुत महत्व होता है. देखिये, यदि नरेंद्र दामोदर दास मोदी अगर भूमि पूजन करते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है. दरअसल, नरेंद्र मोदी के नाम में न शब्द जुड़ा है इसलिए कोई दिक्कत नहीं है. अगर नरेन्द्र की जगह कोई और नाम होता तो 5 अगस्त को यह समय प्रतिकूल होता. नाम का बड़ा महत्व है.
जगद्गुरु रामनुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज ने पोलटॉक से बातचीत में बताया कि यह केवल सांकेतिक है पूजन है. असल में 9 नवबंर 1989 को हो चुका है. दरअसल, उसका राष्ट्रीयकरण नहीं हो पाया था इसलिए अब वह होने जा रहा है. पीएम का आना बहुत शुभ है. पंचक का कोई लेना देना नहीं है. कोई भूमि पूजन नहीं होने जा रहा है. अब बस पीएम अयोध्या दर्शन करने आ रहे है. यह बस एक्टिंग है.
अयोध्या के ही मधुर जी महराज ने बताया कि पंचक में कोई शुभकार्य नहीं हो सकता. आखिर यह कैसे हो रहा है बड़ा सवाल है. शुभकार्य के लिए समय की जरुरत है. लेकिन अब यह हो रहा है तो सवाल जरुरी है. पीएम आ रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आस्था और धर्मं को किनारे नहीं रख सकते हैं.
श्री कल्कि पीठाधीश्वर के आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पोलटॉक से बातचीत में बताया कि कोई भी शुभकार्य भगवान् विष्णु शयनकाल के समय नहीं किया जाता. इन चार महीनों में ऐसा काम नहीं होता. भगवान राम को भगवान् विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. तो ऐसे में जब भगवान् विष्णु सो रहे हैं तो भगवान राम की पूजा कैसे हो सकती है ? जिस दिन का भगवान राम के करोड़ों भक्त सालों से प्रतीक्षा कर रहे हैं. तो ऐसे में इस तरह जल्दबाजी में क्यों इस पुनीत कार्य को किया जा रहा है. यह जो चातुर्मास का समय है इसमें भगवान का सुमिरन और पूजा हो सकती है. लेकिन यह तिथि भवन निर्माण के लिए ठीक नहीं है. आस्था और शास्त्र में अंतर है. शास्त्रों के हिसाब से यह समय ठीक नहीं है. फिर यह जल्दबाजी क्यों की जा रही है.