वैसे तो भाजपा में लगातार चुनाव जीतने वाले नेताओं की कमी नहीं है. मगर जब उत्तराखंड की राजनीती में किसी नेता की बात होती है तो सबसे पहले नाम आता है रमेश पोखरियाल निशंक का. उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों में 5 बार विधायक रहे. और वो भी इनकी लगातार जीत हुई. इन्होंने १९९१ में पहला चुनाव जीता था और उसके बाद से कभी हारे नहीं. 5 बार विधायक और 2 बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. मोदी सरकार-दो में कैबिनेट मंत्री है.
रमेश पोखरियाल निशंक, केन्द्रीय मंत्री , भारत सरकार.
उत्तराखंड के सबसे युवा सीएम रहे हैं. बड़े स्तर के कवि भी हैं. कई प्रमुख किताबें भी लिख चुके हैं. सुलझे हुए नेताओं में इनका नाम है. रह रहकर उत्तराखंड में सीएम बनने को लेकर इनकी चर्चा होने लगती है. जब-जब उत्तराखंड में राजनीतिक उठापठक हुई तो उसमें निशंक प्रमुख भूमिका में रहे हैं. उतराखंड की राजनीती में निशंक पोखरियाल एक अपराजित योद्धा से कम नही है. भुवन चन्द्र खंडूरी, त्रिवेन्द्र सिंह रावत और हरीश रावत, नारायण दत्त त्रिपाठी भी एक एक बार चुनाव हार चुके है. मगर रमेश निशंक कभी भी चुनाव नहीं हारे. विधान सभा और लोक सभा दोनों चुनाव को बड़े वोटों के अंतर से इन्होने चुनाव जीता है.
वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग विधान सभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित तत्पश्चात लगातार तीन बार विधायक बने, वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश सरकार में श्री कल्याण सिंह मंत्रीमण्डल में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री तत्पश्चात वर्ष 1999 में श्री रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त एवं धर्मस्व मंत्री। वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री।
वर्ष 2007 में उत्तराखण्ड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री, वर्ष 2009 में उत्तराखण्ड प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री। वर्ष 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित, वर्ष 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित। मानवसंसाधन मंत्री हैं. सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहते हैं.