कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया पर है. वहीं राष्ट्रीय स्वयं संघ ने भी बड़ा निर्णय लिया है. 90 दिन तक ये काम नहीं करेगी. डॉ. मनमोहन वैद्य ने ट्वीट किया है ‘वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखकर संघ ने अप्रैल से जून तक होने वाले लगभग 90 से अधिक संघ शिक्षा वर्ग एवं अन्य सभी सार्वजनिक व सामूहिक कार्यक्रम निरस्त कर दिये हैं। ‘
वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखकर संघ ने अप्रैल से जून तक होने वाले लगभग 90 से अधिक संघ शिक्षा वर्ग एवं अन्य सभी सार्वजनिक व सामूहिक कार्यक्रम निरस्त कर दिये हैं। – डॉ. मनमोहन वैद्य pic.twitter.com/rp8DqeaHvI
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सोशल गैपिंग को लेकर आरएसएस ऐसा करने जा रही है. संघ के सह सर कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने ट्वीटर पर ट्वीट करके यह जानकारी दी है. अब यह बड़ा कदम माना जा रहा है. यह समाज के लिए एक बड़ा संदेश है. हम संकट के समय एक है. कुछ दिन पहले ही आरएसएस ने लिखा था ‘महाराष्ट्र में कई जगहों पर घुमंतू जातियों की बस्तियों में संघ के स्वयंसेवकों ने जाकर उनके लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था करना प्रारंभ किया है।अभी तक एक हज़ार तक स्वयंसेवकों ने रक्तदान करते हुए एक चिकित्सालय की आवश्यकता पूर्ति करने में एक पहल की है.’ ऐसे कार्यों को आरएसएस करता रहा है.
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महाराष्ट्र में कई जगहों पर घुमंतू जातियों की बस्तियों में संघ के स्वयंसेवकों ने जाकर उनके लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था करना प्रारंभ किया है।अभी तक एक हज़ार तक स्वयंसेवकों ने रक्तदान करते हुए एक चिकित्सालय की आवश्यकता पूर्ति करने में एक पहल की है। #SamajSevaRamSeva pic.twitter.com/XB6KKxN7jA
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2 अप्रैल को भी हुआ था काम
सरकार्यवाह ने ट्वीटर के माध्यम से यह जानकारी दी है. आज लगभग 10हजार स्थानों पर एक लाख से अधिक स्वयंसेवक भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति (भोजन सामग्री पहुंचाना,चिकित्सालयों में जाकर सेवा देना) करने में लगे हुए हैं।इस योजना के तहत करीब 10लाख परिवारों तक संघ के स्वयंसेवक किसी न किसी माध्यम से पहुंचे हैं।
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आरएसएस की दृष्टी और दर्शन
आज के इस युग में जिस परिस्थिति में हम रहते हैं, ऐसे एक-एक, दो-दो, इधर-उधर बिखरे, पुनीत जीवन का आदर्श रखनेवाले उत्पन्न होकर उनके द्वारा धर्म का ज्ञान, धर्म की प्रेरणा वितरित होने मात्र से काम नहीं होगा। आज के युग में तो राष्ट्र की रक्षा और पुन:स्थापना करने के लिए यह आवश्यक है कि धर्म के सभी प्रकार के सिद्धांतों को अंत:करण में सुव्यवस्थित ढंग से ग्रहण करते हुए अपना ऐहिक जीवन पुनीत बनाकर चलनेवाले, और समाज को अपनी छत्र-छाया में लेकर चलने की क्षमता रखनेवाले असंख्य लोगों का सुव्यवस्थित और सुदृढ़ संगठन।