प्रकाश जावेडकर से सद्गुरु ने कहा-कावेरी कॉलिंग भारत के कार्बन लक्ष्य को 8-12% पूरा करेगा

‘सिर्फ कावेरी कॉलिंग परियोजना से, जिसमें 83,000 स्क्वायर किमी में 2.42 अरब पेड़ लगाया जाना है, 52 लाख किसानों को फायदा होगा, 9 लाख करोड़ से 12 लाख करोड़ लीटर पानी अलग किया जाएगा और 20 से 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड अलग किया जाएगा,’ ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर से एक ऑनलाइन बातचीत में कहा।

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सद्गुरु और प्रकाश जावडेकर .
सद्गुरु और प्रकाश जावडेकर .

  • ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर से एक ऑनलाइन बातचीत में कहा

पोल टॉक नेटवर्क 

‘सिर्फ कावेरी कॉलिंग परियोजना से, जिसमें 83,000 स्क्वायर किमी में 2.42 अरब पेड़ लगाया जाना है, 52 लाख किसानों को फायदा होगा, 9 लाख करोड़ से 12 लाख करोड़ लीटर पानी अलग किया जाएगा और 20 से 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड अलग किया जाएगा,’ ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर से एक ऑनलाइन बातचीत में कहा।

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इस सत्र का प्रसारण 3 सितंबर को सद्गुरु के 63वें जन्मदिन पर हुआ जिसे ईशा ने नदी पुनर्जीवन को समर्पित दिन के तौर पर मनाया। पिछले सितंबर कावेरी नदी के पुनर्जीवन के लिए सद्गुरु द्वारा आरंभ 12 वर्षीय मिशन, कावेरी कॉलिंग की कल पहली वर्षगांठ थी। सद्गुरु ने बताया कि सिर्फ कावेरी कॉलिंग परियोजना ही कार्बन पृथकीकरण पर पेरिस समझौते के 2030 लक्ष्यों के तहत देश के राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (एनडीसी) में 8 से 12 प्रतिशत योगदान करेगी।

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केंद्रीय मंत्री और सद्गुरु के बीच बातचीत का मुख्य फोकस पेड़ आधारित खेती या कृषिवानिकी के पथ प्रवर्तक समाधान पर था, जिसने एक बार में मिट्टी, जल, पोषण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित ढेरों समस्याओं को हल कर दिया। सद्गुरु को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के साथ शुरू करते हुए मंत्री जी ने कई दूरगामी सुधारों और कार्यक्रमों के बारे में बात की, जो सरकार ने पेड़ आधारित खेती को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किए हैं।

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उन्होंने मिट्टी और पानी की सेहत के सभी पहलुओं, और देश की खुशहाली तथा प्रगति को सुनिश्चित करने के स्थायी उपायों पर सद्गुरु की राय का स्वागत किया। ‘विचार आपके जैसे लोगों से आते हैं। सरकार को उसे लागू करना है। आपकी ताकत विचार है, हमारी ताकत उसे कई गुना बढ़ाना है,’ उन्होंने कहा।

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घंटे भर लंबी बातचीत में बहुत से विषय शामिल थे, जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा हाल में घोषित पोषण माह, पेड़ आधारित खेती को बढ़ावा देना जारी रखने के लिए राज्यों के लिए वैश्विक फंडिंग लेना, रेत खनन और लकड़ी कटाई तथा बिक्री के लिए नीतिगत नियम, आयातों को घटाने के लिए लकड़ी में आत्मनिर्भरता और पेरिस समझौते के तहत देश की प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के लिए तरीके शामिल हैं।

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इस संभावना को स्वीकार करते हुए, श्री जावडेकर ने कहा ‘प्रधानमंत्री खुद बहुत आश्वस्त हैं कि कृषि वानिकी ही आगे की राह है,’ और नौकरियां तथा किसानों के लिए संपन्नता लाने में उसकी संभावना की चर्चा की। मंत्री ने मनुष्य और जानवरों के टकराव को कम करने के लिए 28 राज्यों के 28 वनों में जल और चारा वृद्धि कार्यक्रम की भी बात की।

उन्होंने बताया कि सरकार ने हरित आवरण और मृदा बहाली परियोजनाओं के लिए क्षतिपूरक वनरोपण निधि के तहत 49,000 करोड़ रुपये जारी किए हैं। सरकार ने किसानों द्वारा लकड़ी के परिवहन और बिक्री में मदद के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी बनाया है। एक व्यावहारिक रेत खनन नीति बनाने पर सद्गुरु के सुझाव का भी मंत्री ने स्वागत किया।

पोषण के विषय पर, सद्गुरु ने कहा कि भारत में 3 वर्ष से कम उम्र के 70 फीसदी बच्चे और 55 फीसदी महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा सितंबर को पोषण माह घोषित करने की भी सराहना की। ‘यह पोषण माह जागरूकता लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जहां तक कुछ करने का सवाल है, मिट्टी को उपजाऊ बनाए बिना, मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने का कोई तरीका नहीं है,’ सद्गुरु ने कहा।


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