पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ
बॉलिवुड में ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को देश में कौन नहीं जानता है। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्मों में अभिनेता से लेकर राजनीति के नेता तक का सफर तय किया है। बॉलीवुड में एक समय ऐसा भी था जब फिल्मों के निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्मों में हीमैन धर्मेंद्र और एंग्री यंगमैन अमिताभ बच्चन की जगह शत्रुघ्न सिन्हा को तरजीह देते थे। हालांकि वर्तमान में शत्रुघ्न सिन्हा अभिनेता के रूप में नहीं बल्कि नेता के रूप में जिंदगी का अभिनय कर रहें हैं। शत्रुघ्न सिन्हा वर्तमान(2022) में पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा से टीएमसी से सांसद हैं। इस लेख में शत्रुघ्न सिन्हा के शुरूआती जीतन और राजनीतिक सफर के बारे में जानेंगे।
शत्रुघ्न सिन्हा का जीवन परिचय
शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 9 दिसंबर 1945 को पटना के कदमकुआं स्थित घर में हुआ था। शत्रुघ्न सिन्हा के पिता का नाम डॉ. भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा था। शत्रुघ्न सिन्हा अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। इसके भाइयों के नाम राम, लखन भरत हैं। शत्रुघ्न सिन्हा के भाई साइंटिस्ट, इंजीनियर और डॉक्टर हैं। इसके पिता अन्य भाइयों की तरह इन्हें भी डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे। किन्तु शत्रुघ्न सिन्हा की रूचि इस क्षेत्र में बिल्कुल भी नहीं थी। शत्रुघ्न सिन्हा की रूचि अभिनय में थी इसके लिए उन्होंने पिता को बिना बताए पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से फॉर्म मंगवाया। फॉर्म भरने के बाद शत्रुघ्न के समस्या यह आयी कि फॉर्म पर हस्ताक्षर करेगा कौन क्योंकि पिता तो करने से रहे अब ऐसे में शत्रुघ्न की मदद उनके बड़े भाई लखन ने की। लखन ने गार्जियन के हस्ताक्षर किए। यहीं से शत्रुघ्न सिन्हा की जिंदगी का रुख बदल गया और वे सिनेमा जगह की और चले गए।
अपने पिता की इच्छा को दरकिनार कर वे फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे में प्रवेश लिया। वहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद वे फ़िल्मों में कोशिश करने लगे। लेकिन कटे होंठ के कारण किस्मत साथ नहीं दे रही थी। ऐसे में वे प्लास्टिक सर्जरी कराने की सोचने लगे। तभी देवानंद ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया था। उन्होंने वर्ष 1969 में फ़िल्म ‘साजन’ के साथ अपने कैरियर की शुरूआत की थी। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक से एक हिट फिल्म देते चले गए। शत्रुघ्न सिन्हा का विवाह कोमल से हुआ। कोमल शत्रुघ्न सिन्हा के साथ फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में साथ पढ़ती थीं। पूनम ने कुछ चंद फिल्में की हैं लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा से विवाह होने के बाद उन्होंने अभिनय के सफर को वहीं रोक दिया। कोमल और शत्रुघ्न सिन्हा के दो बेटे और एक बेटी है। शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा आज के दौर में फ़िल्म इडस्ट्री में अपनी धूम मचा रहीं हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक सफर
फिल्मी दुनिया में सभी को खामोश करने के साथ ही साथ बिहारी बाबू ने राजनीति में दांव पेंच खेले। अभिनेता के बाद नेता के रूप में शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को स्थिर किया। शत्रुघ्न सिन्हा के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1992 में हुई। 1991 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर और नई दिल्ली दो सीटों से चुनाव जीते। नियमों के अनुसार आडवाणी को एक सीट छोड़नी पड़ी तो उन्होंने नई दिल्ली सीट को उन्होंने छोड़ दिया। यहीं शत्रुघ्न सिन्हा के राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई।
पहला चुनाव राजेश खन्ना के खिलाफ
1992 में आडवाणी के द्वारा छोड़ी हई नयी दिल्ली सीट पर उप चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी की और से शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी मैदान में उतरे तो वहीँ कांग्रेस पार्टी ने शत्रुघ्न सिन्हा के दोस्त राजेश खन्ना को उतार दिया। बता दें राजेश खन्ना पहले भी चुनाव लड़ चुके थे। 1991 के चुनाव नतीजों में शत्रुघ्न सिन्हा को अपने ही दोस्त के हार का सामना करना पड़ा। शत्रुघ्न सिन्हा बताते हैं कि राजेश खन्ना के सामने चुनाव लड़ने से वह नाराज हो गए और उन्होंने कभी बात की। राजेश खन्ना ने उपचुनाव में करीब 27 हजार वोटों से शत्रुघ्न सिन्हा को हराया था।
इस चुनाव के बाद शत्रुघ्न सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के स्टार नेताओं की लिस्ट में शामिल हो गए। अटल बिहारी वाजयेपी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं के साथ शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव प्रचार करने लगे जिसका फायदा पार्टी को मिलता रहता। भारतीय जनता पार्टी ने 1996 में बिहार से शत्रुघ्न सिन्हा को राज्यसभा भेजा। उसके बाद कार्यकाल खत्म होने जाने के बाद शत्रुघ्न दोबारा राज्यसभा पहुंचे।
अटल सरकार में मंत्री
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में शत्रुघ्न सिन्हा को मंत्री पद दिया गया। तब उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाया। हालांकि, 2003 में उनका मंत्रालय बदलकर उन्हें जहाजरानी मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2004 में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तब भी शत्रुघ्न सिन्हा में ही रहे और चुनाव प्रचार में जुटे रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा को बिहार की पटना साहिब सीट से चुनाव में उतारा। शत्रुघ्न ने पार्टी के भरोसे को कायम रखते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी विजय कुमार को 1,66,700 वोटों के अंतर से हराया।
बीजेपी से हुई नाराजगी
2014 के लोकसभा चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा के साथ ही रविशंकर प्रसाद भी पटना साहिब से लड़ना चाहते थे। तब पार्टी ने नरेंद्र मोदी की एंट्री से आडवाणी की पकड़ कमजोर हई थी। हालांकि पार्टी की और से टिकट शत्रुघ्न सिन्हा को ही दिया गया। शत्रुघ्न सिन्हा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट कुनाल सिंह को 2,65,805 वोटों से हरा कर जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में जितने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को मंत्री पद की उम्मीद थी किन्तु उन्हें दरकिनार कर दिया। यहीं से शत्रुघ्न सिन्हा और भारतीय जनता पार्टी के बीच दूरियां बढ़ती चली गयीं। इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा विपक्षी पार्टियों के मंच पर भी नजर आने लगे। बीजेपी ने भी शत्रुघ्न से दूरी बना ली और 2019 के लोकसभा चुनाव में पटना साहिब सीट से उनका टिकट भी काट दिया गया। टिकट काटने के बाद शत्रुघ्न ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ा। 2019 के चुनाव में पटना साहिब सीट से शत्रुघ्न बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद से चुनाव हार गए।
2022 में शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए। 2022 में पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। TMC ने शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा। शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल सीट से लगभग 3 लाख वोटो से जीत हासिल की और सदन तक का रास्ता तय किया।
शत्रुघ्न सिन्हा की मुख्य हिट फिल्में
- 2004 – आन
- 2002 – बाबा
- 2000 – शहीद ऊधम सिंह
- 2000 – पापा द ग्रेट
- 1998 – ज़ुल्म-ओ-सितम
- 1996 – दिल तेरा दीवाना
- 1995 – जमाना दीवाना
- 1994 – इन्साफ अपने लहू से
- 1994 – बेताज बादशाह
- 1994 – पतंग
- 1994 – चाँद का टुकड़ा
- 1994 – प्रेम योग
- 1992 – अधर्म
- 1991 – इरादा
- 1991 – रणभूमि
- 1991 – कस्बा
- 1990 – हमसे ना टकराना
- 1989 – आखिरी बाज़ी
- 1989 – शहज़ादे
- 1989 – ज़ख्म
- 1989 – बिल्लू बादशाह
- 1989 – कानून की आवाज़
- 1989 – संतोष
- 1989 – ज़ुर्रत
- 1989 – नाइंसाफी
- 1988 – धर्मयुद्ध
- 1988 – गुनाहों का फ़ैसला
- 1988 – सागर संगम
- 1988 – शिव शक्ति
- 1988 – शेरनी
- 1988 – महावीरा
- 1988 – मुलज़िम
- 1988 – गंगा तेरे देश में
- 1987 – इंसानियत के दुश्मन
- 1987 – आग ही आग
- 1987 – खुदगर्ज़
- 1987 – राही
- 1987 – हिरासत
- 1987 – लोहा
- 1987 – हवालात
- 1987 – जवाब हम देंगे
- 1986 – असली नकली
- 1986 – समय की धारा
- 1986 – इलज़ाम
- 1986 – कत्ल
- 1985 – काली बस्ती
- 1985 – आँधी तूफान
- 1985 – होशियार
- 1985 – भवानी जंकशन
- 1985 – युद्ध
- 1985 – अमीर आदमी गरीब आदमी
- 1985 – फाँसी के बाद
- 1985 – रामकली
- 1984 – मेरा दोस्त मेरा दुश्मन
- 1984 – माटी माँगे खून
- 1984 – द गोल्ड मैडल
- 1984 – शरारा
- 1984 – बद और बदनाम
- 1984 – कैदी
- 1984 – आज का एम एल ए राम अवतार
- 1983 – चोर पुलिस
- 1983 – दौलत के दुश्मन
- 1983 – तकदीर शिव
- 1982 – तीसरी आँख
- 1982 – हथकड़ी
- 1982 – लोग क्या कहेंगे
- 1982 – नादान
- 1981 – नसीब
- 1981 – क्रांति
- 1981 – चेहरे पे चेहरा
- 1981 – वक्त की दीवार
- 1980 – बेरहम
- 1980 – ज्वालामुखी
- 1980 – दोस्ताना
- 1980 – बॉम्बे 405 मील
- 1980 – चम्बल की कसम
- 1980 – शान
- 1979 – बगुला भगत
- 1979 – गौतम गोविन्दा
- 1979 – मुकाबला
- 1979 – जानी दुश्मन
- 1979 – काला पत्थर
- 1979 – नौकर
- 1978 – परमात्मा
- 1978 – विश्वनाथ
- 1978 – चोर हो तो ऐसा
- 1978 – अतिथि
- 1977 – कोतवाल साब
- 1977 – अब क्या होगा
- 1977 – सत श्री अकाल
- 1977 – शिरडी के साईं बाबा
- 1977 – सफेद हाथी
- 1976 – ख़ान दोस्त
- 1975 – दो ठग
- 1975 – कहते हैं मुझको राजा
- 1975 – अनोखा
- 1974 – दोस्त
- 1974 – बदला
- 1973 – छलिया
- 1973 – आ गले लग जा
- 1973 – बलैक मेल
- 1973 – हीरा
- 1973 – प्यार का रिश्ता
- 1973 – शरीफ़ बदमाश
- 1972 – दो यार
- 1972 – रास्ते का पत्थर
- 1972 – बॉम्बे टू गोआ
- 1972 – भाई हो तो ऐसा
- 1972 – शादी के बाद
- 1972 – बाबुल की गलियाँ
- 1972 – रिवाज़
- 1972 – जबान
- 1971- दोस्त और दुश्मन
- 1971 – बनफूल
- 1971 – पारस
- 1971 – मेरे अपने
- 1971 – परवाना
- 1971 – गैम्बलर
- 1971 – एक नारी एक ब्रह्मचारी
- 1970 – प्रेम पुजारी
- 1970 – खिलौना बिहारी
- 1969 – साजन
रिपोर्ट -पत्रकार आदित्य कुमार