- मुलायम सिंह और शिवपाल की ये हैं अनोखी कहानी
- कई वर्षों से शिवपाल यादव चल रहे हैं नाराज
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजनीति या फिर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिवारों की जब भी बात की जाती है या फिर की जाएगी तो उसमें यादव परिवार का नाम जरूर आएगा। यादव परिवार यानी मुलायम सिंह यादव (MULAYAM SINGH YADAV) का परिवार। जब बात मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी की होती है तब शिवपाल सिंह यादव का नाम चर्चा में जरूर आता है। मुलायम सिंह यादव (SHIVPAL SINGH YADAV) की ऊँगली पकड़ सूबे की राजनीति में पहचान बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव वर्तमान में उत्तर प्रदेश की सक्रीय राजनीति का मजबूत हिस्सा हैं। इस लेख में हम संक्षिप्त में शिवपाल सिंह यादव के राजनीतिक सफर के बारे में जानेंगे।
शिवपाल सिंह यादव की शिक्षा
शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। शिवपाल यादव के पिता का नाम सुधर सिंह और मां का नाम मूर्ति देवी है। सुधर सिंह के चार बेटे और बेटी हैं, जिसमें मुलायम सिंह यादव सबसे बड़े तो शिवपाल सिंह यादव सबसे छोटे बेटे थे। शिवपाल सिंह यादव के पिता किसान और माता गृहणी थीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई- लिखाई गांव के ही प्राथमिक पाठशाला में हुई थी। शुरूआती पढाई पूरी करने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने हाई उन्होंने 1972 में हाई स्कूल और 1974 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई के लिए 1976 में केके डिग्री कॉलेज इटावा और 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीपीएड किया था। शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23 मई 1981 को हुआ था। शिवपाल सिंह यादव के एक बेटी डॉ. अनुभा यादव और एक बेटा आदित्य यादव है।
मुलायम सिंह यादव की करते थे सुरक्षा
शिवपाल सिंह यादव का राजनीतिक जीवन संघर्ष भरा है। समाजवादी पार्टी को सफल बनाने के पीछे शिवपाल सिंह यादव की बड़ी भूमिका मानी जाती है। राजनीती शुरूआती दिनों में शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में लगे रहते थे। दरअसल, 1967 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा चुनाव जीता था। चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह के राजनीतिक विरोधियों द्वारा मुलायम सिंह पर कई बार जानलेवा हमला भी कराया। इस बात का जिक्र शिवपाल सिंह यादव ने अपनी किताब लोहिया के लेनिन ने भी किया है। शिवपाल यादव ने लिखा है कि ‘नेता जी जब भी इटावा आते, मैं अपने साथियों के साथ खड़ा रहता। हम लोगों को काफी सतर्क रहना पड़ता, कई रातें जगाना पड़ता था।’ शुरूआती दिनों में शिवपाल सिंह यादव पार्टी के पर्चा बाँटने से लेकर बूथ समन्वयक का कार्य नेता जी के साथ रहकर करते थे।
शिवपाल सिंह का राजनीति में प्रवेश कब हुआ था ?
शिवपाल सिंह अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर सपा को आगे बढ़ाने का काम लगातार कर रहे थे। इसी के साथ शिवपाल यादव ने राजनीती की मुख्यधारा में प्रवेश किया। शिवपाल ने सहकारिता की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया था। साल 1988 से 1993 में शिवपाल सिंह यादव जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद शिवपाल यादव 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी के साथ शिवपाल सिंह यादव ने 1994 से 1998 तक उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष पद पर भी रहे।
शिवपाल सिंह यादव ने 1996 का चुनाव जसवंतनगर विधानसभा सीट से लड़ा और जीत दर्ज की। इस चुनाव में शिवपाल यादव को 68377 वोट मिले थे। इसी साल वह शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश महासचिव बनाया गया था। समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए शिवपाल यादव ने कड़ी मेहनत की, जिसका नतीजा हुआ कि उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता बढ़ती चली गई। 01 नवंबर 2007 को शिवपाल सिंह यादव को सपा का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव को 6 जनवरी 2009 को समाजवादी पार्टी के पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। शिवपाल सिंह यादव मायावती की सरकार में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रहें हैं।
लगातर 6 बार चुने गए विधायक
शिवपाल सिंह यादव की राजनीतिक लोकप्रियता का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि शिवपाल यादव लगातार छः बार विधायक चुने गए हैं। शिवपाल सबसे पहले वर्ष 1996 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। दूसरी बार 2002 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए। वहीं, 2007 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे शिवपाल यादव मायवती सरकार में नेता प्रतिपक्ष बने थे। चौथी बार 2012 के चुनाव में एक बार फिर जसवंतनगर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वहीं पांचवी बार 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और 2022 में लगातार छठी बार जसवंतनगर सीट से जनता ने शिवपाल सिंह यादव को विधायक चुना।
पारिवारिक विवाद के चलते बनाई नई पार्टी
समाजवादी पार्टी को खड़ा करने और सरकार चलाने के बाद साल 2018 में शिवपाल सिंह ने सपा से अलग होकर नयी पार्टी बनाई। दरअसल, 2017 के चुनावों के समय और उसके बाद लगातार यादव परिवार आपसी राजनीतिक कलह शुरू हो गयी। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुलायम सिंह यादव को हटाकर उनके बेटे अखिलेश यादव को बिठा दिया गया। परिवार में बढ़ती कलह के बीच शिवपाल सिंह यादव ने 29 अगस्त 2018 को अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजे एक हुए और शिवपाल सिंह यादव ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।