Sitapur Lok Sabha Constituency: सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास क्या है, जानें क्या हैं जातीय चुनावी समीकरण

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सीतापुर सरायण नदी के किनारे बसा उत्तर प्रदेश का एक जिला है। सीतापुर जिले का नगर पालिका बोर्ड है। अग्रेजों के राज में सीतापुर ब्रिटिश सेना की छावनी हुआ करता था। कहा जाता है कि सीतापुर का नाम भगवान श्री की पत्नी सीता जी के नाम पर पड़ा। ऐसी मान्यता है कि वनवास जाते समय माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण यहां ठहरे थे। इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने इस शहर का नाम देवी सीता के नाम पर सीतापुर रख दिया। हालांकि इस नामकरण के तर्क के पीछे  का कोई पुख्ता सबूत नहीं है।

अबुल फज़ल की आईना अकबरी के अनुसार अकबर के शासनकाल में सीतापुर का नाम चैत्यापुर या चितईपुर था. कौशल नरेश के पुत्र बिदुदभ के काल में, सीतापुर मगध के शिन्गुनाग राज्य के अन्दर आता था। नंद और मौर्या वंश के पतन बाद यह क्षेत्र शुंग वंश के अंतर्गत आ गया। सीतापुर जिले के अंतर्गत गोमती नदी के किनारे पर स्थित नैमिषाराणय वही स्थान है जहाँ महर्षि वेद व्यास ने पुराणों की रचना की थी

सीतापुर की जनसँख्या और शिक्षा 

सीतापुर जिला 5,743 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल जनसंख्या 4,483,992 है। इसमें से 2,375,264 पुरुष और 2,108,728 महिलाएं हैं। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 888 महिलाएं हैं। वहीँ यदि सीतापुर की साक्षरता की बात की जाये तो यहां की औसत साक्षरता दर 61.12 प्रतिशत है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 70.31 प्रतिशत है और महिला साक्षरता दर 50.67 प्रतिशत है।

वहीं यदि सीतापुर लोकसभा सीट में वोटरों की बात की जाये तो यहाँ लगभग सवा दो लाख मुस्लिम, दो लाख अनुसूचित जाति, डेढ़ लाख ब्राह्मण एवं 85 हजार क्षत्रिय एवं कुर्मी मतदाता हैं। सीतापुर में कुल 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं। इनमें बिसवां, सीतापुर, लहरपुर, महमूदाबाद व सेवता विधान सभा क्षेत्र शामिल हैं।

सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास 

सीतापुर लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए। पहले चुनाव में कांग्रेस की उमा नेहरु विजयी हुई और सीतापुर की पहली सांसद बनी। उमा नेहरु, जवाहरलाल नेहरु के चचेरे भाई की पत्नी थीं। उमा नेहरू 1957 में चुनाव में लगातार दूसरी बार सांसद चुनी गईं। 1962 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान यह सीट जनसंघ केखाते में चली गयी।

सीतापुर लोकसभा सीट का राजनीतिक घटनाक्रम 

1962, 1967 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की थी

1971 में कांग्रेस ने यहां वापसी की

1977 में भारतीय लोकदल ने कांग्रेस को करारी हार दी

1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस ने यहां जीत की हैट्रिक लगाई

1991 में मंदिर आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपना खाता खोला

1996 में समाजवादी पार्टी ने यहाँ से जीत दर्ज की

1998 में बीजेपी ने यहां पर दोबारा वापसी की

1999 से लेकर 2009 तक बहुजन समाज पार्टी ने लगातार तीन बार चुनाव जीता

2014 में मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी की लगातार जीत का सिलसिला टूट गया और यह सीट बीजेपी के खाते में गई

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से राजेश वर्मा ने जीत दर्ज की। राजेश वर्मा वर्तमान में सीतापुर के सांसद हैं।

सीतापुर लोकसभा सीट पर अब तक के सांसद 

लोकसभा वर्ष से वर्ष तक सांसद पार्टी
पहली 1952 1957 उमा नेहरु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
दूसरी 1957 1962 उमा नेहरु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
तीसरी 1962 1967 सूरज लाल वर्मा भारतीय जन संघ
चौथी 1967 1971 शारदा नंद भारतीय जन संघ
पांचवी 1971 1977 जगदीश चन्द्र दीक्षित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
छठवीं 1977 1980 हरगोविंद वर्मा भारतीय लोक दल
सातवीं 1980 1984 राजेंद्र कुमार बाजपई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
आठवीं 1984 1989 राजेंद्र कुमार बाजपई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
नौवीं 1989 1991 राजेंद्र कुमार बाजपई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
दसवीं 1991 1996 जनार्दन प्रसाद मिश्र भारतीय जनता पार्टी
ग्यारहवीं 1996 1998 मुख़्तार अनीस समाजवादी पार्टी
बारहवीं 1998 1999 जनार्दन प्रसाद मिश्र भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं 1999 2004 राजेश वर्मा बहुजन समाज पार्टी
चौदहवीं 2004 2009 राजेश वर्मा बहुजन समाज पार्टी
पंद्रहवीं 2009 2914 कैसर जहान बहुजन समाज पार्टी
सोलहवीं 2014 2019 राजेश वर्मा भारतीय जनता पार्टी
सत्रवीं 2019 अब तक राजेश वर्मा भारतीय जनता पार्टी

 


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